टाटा ग्रुप के ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क की ओर से हिंदू-मुस्लिम वाले विज्ञापन को हटाए जाने के बाद अब ट्विटर पर रतन टाटा ट्रेंड हो रहे हैं। दरअसल यूजर्स ने इसे टाटा ग्रुप की कायरता बताते हुए कहा है कि उन्हें ट्रोलर्स के आगे टिका रहना चाहिए था। इस मसले पर कांग्रेस के सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, ‘आखिर भारत बहुलतावादी संस्कृति के ब्रांड कहे जाने वाले टाटा को क्यों ट्रोल किया जाना चाहिए? रतन टाटा जी क्या आपने हिटलर के दौर में पास्टर मार्टिन नीमोलर की कविता पढ़ी है? कृपया उस कविता के संदेश पर ध्यान दें।’
दरअसल अपनी कविता First they came में मार्टिन ने लिखा था, ‘पहले वे कम्युनिस्टों के लिए आएंगे और मैं नहीं बोलूंगा क्योंकि मैं कम्युनिस्ट नहीं हूं। इसके बाद वह सोशलिस्टों के लिए आएंगे और मैं कुछ नहीं बोलूंगा क्योंकि मैं सोशलिस्ट नहीं हूं।’ यह कविता मार्टिन ने हिटलर के नाजीवाद के खिलाफ लिखी थी। लेखक चेतन भगत ने भी इस मसले पर ट्वीट करते हुए कहा, ‘टाटा ग्रुप की कंपन होने के चलते तनिष्क से बहादुरी और सही पक्ष रखने की अपेक्षा थी। यदि आपने कुछ भी गलत नहीं किया गया है और आपने देश के बारे में कुछ अच्छा दिखाने का प्रयास किया है तो कमजोर न पड़ें। भारतीय बनें। मजबूत बनें।’
द हिंदू की सीनियर पत्रकार सुहासिनी हैदर ने भी इस मसले पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि यह दुखद दिन है, जब टाटा जैसे दिग्गज ब्रांड ने अंतर्धामिक विवाह के मसले पर ट्रोल्स के आगे घुटने टेक दिए। भारत की परंपराओं में बहुलता का अहम स्थान है। दरअसल तनिष्क ने ‘एकत्वम’ नाम से जारी किए अपने ऐड में मुस्लिम परिवार में हिंदू लड़की की शादी दिखाई थी। विज्ञापन में गर्भवती हिंदू लड़की को मुस्लिम परिवार की बहू दिखाया गया था और उसकी गोदभराई की रस्म दिखाई गई थी। इस पर सोशल मीडिया यूजर्स के एक वर्ग ने कहा था कि लव जिहाद को प्रमोट करने जैसा है।
यही नहीं तनिष्क के विरोध में #BoycottTanishq भी ट्रेंड हुआ था। इसके बाद तनिष्क ने इस विज्ञापन को ही वापस ले लिया था। अब कंपनी की ओर से ट्रोल्स के दबाव में ऐड को वापस लिए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ट्विटर यूजर्स के एक वर्ग का कहना है कि टाटा समूह को इस मसले पर मजबूती दिखानी थी।