पिछले एक दशक में भारत की अर्थव्यवस्था ने कई ऐतिहासिक बदलाव देखे हैं। लगभग 4.19 ट्रिलियन डॉलर के साथ भारत जीडीपी के हिसाब से दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में पता चला था कि भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर और 2038 संभावित रूप से 34.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों ने न केवल आम लोगों की ज़िंदगी आसान बनाई है बल्कि बिजनेस और स्टार्टअप इकोसिस्टम को भी नई दिशा दी है। आज देश के पीएम नरेंद्र मोदी अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। आपको बताते हैं इस मौके पर कि कैसे डिजिटल पेमेंट्स से लेकर ‘वोकल फॉर लोकल तक’ कैसे बदली है भारतीय अर्थव्यवस्था का चेहरा।

UPI: डिजिटल पेमेंट्स में क्रांति

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत को डिजिटल पेमेंट्स के मामले में दुनिया में सबसे आगे खड़ा कर दिया है। आज देश में हर दिन लाखों लोग करोड़ों ट्रांज़ैक्शंस UPI से करता है। छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े रिटेलर्स तक हर कोई UPI अपनाकर कैशलेस इकोनॉमी को मजबूत बना रहा है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी है बल्कि ब्लैक मनी और नकली नोट जैसी चुनौतियों पर भी कुछ हद तक लगाम लगी है।

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UPI लेनदेन वॉल्यूम और वैल्यू

अगस्त 2025 में UPI लेनदेन की संख्या करीब 20,008.31 मिलियन ट्रांज़ैक्शन्स हुए। इस महीने 24.85 लाख करोड़ रुपये की वैल्यू का लेनदेन यूपीआई के जरिए हुआ। जुलाई 2025 में भी UPI ने नया रिकॉर्ड बनाया और लगभग ₹25.08 लाख करोड़ की वेल्यू का लेनदेन हुआ।

वोकल फॉर लोकल: लोकल से ग्लोबल तक का सफर

पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ मंत्र ने भारतीय MSMEs और घरेलू उद्योगों को नई पहचान दी है। कोविड-19 के दौरान जब दुनियाभर में सप्लाई चेन टूट रही थी, तब लोकल प्रोडक्ट्स ने न केवल घरेलू बाजार को संभाला बल्कि निर्यात में भी बढ़त दिलाई। आज खादी, हस्तशिल्प, आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स और कई अन्य भारतीय ब्रांड्स ग्लोबल मार्केट में अपनी जगह बना रहे हैं।

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MSME सेक्टर की स्थिति
मई 2025 तक 6.44 करोड़ MSMEs Udyam Registration Portal और Udyam Assist Platform पर रिजस्टर्ड हैं जो लगभग 26.77 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

MSMEs देश की GDP में करीब 30% का योगदान करते हैं और भारत के कुल निर्यात का 45% से ज्यादा हिस्सा MSMEs से आता है।

स्टार्टअप इंडिया और बिजनेस इकोसिस्टम

स्टार्टअप इंडिया और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे सुधारों ने युवाओं को कारोबार करने के लिए प्रेरित किया। अब भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन चुका है। डिजिटल इंडिया और पेमेंट्स रेवोल्यूशन ने छोटे कारोबारियों को भी ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका दिया है।

स्टार्टअप इकोसिस्टम
जनवरी 2025 तक भारत में 159,000 से ज्यादा स्टार्टअप्स को मान्यता मिली हुई है जिससे भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम बन चुका है।

2025 में भारत में लगभग 22,000 नए बिजनेस (स्टार्टअप्स) लॉन्च हुए हैं और कुल स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन 1.8 लाख से ज़्यादा हो गया है।

बदलता आर्थिक परिदृश्य
डिजिटल पेमेंट्स और लोकल बिजनेस को प्रमोट करने की नीतियों ने न केवल रोजगार पैदा किए हैं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी है। आज गांव-गांव में छोटे दुकानदार भी QR कोड से पेमेंट ले रहे हैं और अपने प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन बेच पा रहे हैं।