भले ही अभी मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन परियोजना का काम पूरा नहीं हुआ है, लेकिन इस बीच सरकार ने 7 अन्य रूटों पर बुलेट प्रोजेक्ट की तैयारी शुरू कर दी है। इन परियोजनाओं पर 10 लाख करोड़ रुपये तक का खर्च आने का अनुमान है। बता दें कि कोरोना संकट के चलते मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना के काम में देरी हुई है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार जिन रूटों पर बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी कर रही है, उसमें दिल्ली-वाराणसी का बेहद व्यस्त रूट है। इस रूट की दूरी 865 किलोमीटर लंबी होगी। इसके अलावा मुंबई-नागपुर के बीच 753 किलोमीटर के रूट पर भी बुलेट ट्रेन चलाने की योजना है।

वहीं अहमदाबाद को दिल्ली से जोड़ने के लिए भी 886 किलोमीटर लंबी लाइन पर बुलेट ट्रेन चलाने पर विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नै-मैसुरू (435 किमी), दिल्ली-अमृतसर (459 किमी), मुंबई-हैदराबाद (711 किमी) और वाराणसी-हावड़ा (760 किमी) के रूट पर भी बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी है। बता दें कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट परियोजना 508.17 किलोमीटर के रूट को कवर करेगी। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए सरकार ने दिसंबर 2023 तक की डेडलाइन तय की थी, लेकिन अब यह प्रोजेक्ट लटकता दिख रहा है। प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक कोरोना संकट के चलते भूमि अधिग्रहण और टेंडर ओपनिंग का काम अटका है। ऐसे में परियोजना का तय समय में पूरा होना मुश्किल है।

इस परियोजना की जिम्मेदारी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन को दी गई है। एजेंसी के मुताबिक अब तक प्रोजेक्ट के लिए 63 पर्सेंट भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। अब तक गुजरात में 77 पर्सेंट जमीन, दादर नगर हवेली में 80 फीसदी और महाराष्ट्र में 22 पर्सेंट जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र के पालघर जिले और गुजरात के नवसारी में जमीन अधिग्रहण को लेकर कुछ मुद्दे हैं और किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन के एमडी अचल खरे बताते हैं, ‘कोरोना संकट के चलते हमें कुछ टेंडर्स की ओपनिंग को स्थगित करना पड़ा है। फिलहाल कोरोना संकट का प्रोजेक्ट पर कितना असर हुआ है, इसका आकलन करना मुश्किल है क्योंकि यह अब भी जारी है। हम यह नहीं कह सकते कि कोरोना संकट का परियोजना पर कितना असर होगा क्योंकि यह तय नहीं है कि यह कितना लंबा चलने वाला है।’