भारत कारोबार, सरकार, एनजीओ और मीडिया के मामले में विश्व के सबसे विश्वसनीय देशों में शामिल है लेकिन देश के कारोबारी ब्रांडों की विश्वसनीयता इनमें सबसे कम है। एक रपट में यह दावा किया गया है। एडलमैन की ट्रस्ट बैरोमीटर-2019 रपट यहां विश्व आर्थिक मंच के सालाना सम्मेलन के शुरू होने से पहले सोमवार को जारी की गयी। इसमें वैश्विक विश्वसनीयता सूचकांक 3 अंक के हल्के सुधार के साथ 52 अंक पर पहुंच गया है। चीन जागरूक जनता और सामान्य आबादी के भरोसा सूचकांक में क्रमश: 79 और 88 अंकों के साथ शीर्ष पर रहा।

भारत इन दोनों श्रेणियों में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा। यह सूचकांक एनजीओ, कारोबार, सरकार और मीडिया में भरोसे के औसत पर आधारित है।
ये निष्कर्ष 27 बाजारों में किये गए आॅनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित है। इनमें 33,000 से अधिक लोगों के जवाब शामिल किये गए हैं। ब्रांड की विश्वसनीयता के मामले में स्विटजरलैंड, जर्मनी और कनाडा का स्थान आता है। इसके बाद जापान का स्थान आता है। वहीं भारत, मैक्सिको और ब्राजील में स्थित कंपनियां भरोसे के मामले में निचले स्थानों पर हैं। इसके बाद चीन और दक्षिण कोरिया का स्थान आता है।

आपको बता दें कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सुस्त पड़ने के दबाव के बीच उद्योग जगत एवं राजनीति क्षेत्र के विश्व भर के दिग्गज स्विट्जरलैंड में यहां जमा हो रहे हैं, हालांकि अभी वैश्विक आर्थिक मंदी का कोई खतरा नहीं दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने पहले ही दिन वैश्विक आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमानों को घटा दिया है और नीति नियंताओं द्वारा समावेशी, तेज तथा सहयोगात्मक तरीके से वृद्धि की राह की अड़चनों को दूर करने के कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया।

हालांकि आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टील लगार्ड ने कहा कि अभी भी तत्काल किसी मंदी का जोखिम नहीं है। आईएमएफ ने सोमवार को 2019 एवं 2020 के लिये वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर क्रमश: 3.5 प्रतिशत और 3.6 प्रतिशत कर दिया। भारत के प्रतिनिधियों का मानना है कि अब समय आ गया है भारत खुद को चीन के विकल्प के तौर पर पेश करे और देश में आर्थिक सुधारों को जारी रखा जाए तथा उस पर अगले कुछ महीने बाद होने वाले आम चुनाव परिणाम का असर न हो।  विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में इस बार कई भारतीय नेता भाग नहीं ले पा रहे हैं। भारत से प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं उनसे दूसरे देशों के लोग चुनाव के संबंध में पूछ रहे हैं उनकी जिज्ञासा है कि नरेंद्र मोदी सरकार क्या पुन: सत्ता में आएगी।