अंतरराष्ट्रीय बाजार से कच्चे तेल के मोर्चे पर भारत के लिए राहत की खबर आई। मार्च 2022 में यह पहला मौका है जब कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गई है। भारत अपनी जरूरतों का लगभग 80 फ़ीसदी से अधिक कच्चा तेल आयात करता है ऐसे में कच्चे तेल का लगातार महंगा होना भारत को आर्थिक स्तर पर एक बड़ा नुकसान पहुंचा रहा था। आइए जानते हैं किन कारणों की वजह से कच्चे तेल में आई गिरावट
रूस यूक्रेन युद्ध में रुकने की संभावना: रूस यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी को शुरू हुआ था उसके बाद से कच्चे तेल की कीमतों में एक बड़ी तेजी हुई है। वहीं अब एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच सीजफायर हो सकता है जिससे कच्चे तेल की कीमतों में नरमी देखने को मिली है।
चीन में लॉकडाउन: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में कोरोना वायरस के केसों में अचानक बढ़ोतरी देखने को मिली है जिसके कारण चीन ने अपने बड़े शहरों और कई राज्यों में लॉकडाउन लगा दिया है। कच्चे तेल बाजार के जानकारों का मानना है कि इससे दुनिया में कच्चे तेल की मांग में कमी आएगी।
यूएई का उत्पादन बढ़ाना: तेल निर्यातक देशों का समूह (ओपेक) के सदस्य संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बयान जारी कर कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का ऐलान किया था जिसके बाद से कच्चे तेल की कीमतों में ऊपरी स्तर से गिरावट शुरू हुई है। आज मंगलवार को कच्चे तेल की कीमतों में 8 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। 2022 के दौरान कच्चे तेल में पहली बार इतनी बड़ी गिरावट हुई है।
24 फरवरी 2022 को रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में 40 फ़ीसदी तक की वृद्धि हुई थी। 7 मार्च को जब रूस और यूक्रेन के बीच तनाव चरम सीमा पर था तो कच्चे तेल की कीमतों ने 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईथी। इस दौरान कच्चे तेल की कीमत करीब 139 प्रति बैरल हो गई थी। कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के बाद जानकारों ने देश में पेट्रोल डीजल की कीमतों में 15 रुपए प्रति लीटर तक की वृद्धि की आशंका जताई थी जिससे अब राहत मिल सकती है।