देश में महंगाई से आम जनता को जल्द ही राहत मिल सकती है क्योंकि खुदरा महंगाई दर (Consumer Price Index) में कमी आई है। पिछले महीने अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 6.77 फीसदी हो गई है। बता दें कि सितम्बर में यह 7.41 प्रतिशत थी, जबकि अगस्त महीने में यह 7 प्रतिशत थी। यानी खुदरा महंगाई दर पिछले तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर है।
हालांकि खुदरा महंगाई दर के तीन महीने के निचले स्तर पर होने के बावजूद सीपीआई लगातार 10वें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्धारित मानक 6 प्रतिशत से ऊपर बना रहा। बता दें कि केंद्र सरकार ने रिज़र्व बैंक को मार्च 2026 को समाप्त होने वाली पांच साल की अवधि के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ बनाए रखने का आदेश दिया है।
बता दें कि CPI डेटा को मुख्य रूप से RBI द्वारा अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति तैयार करते समय ध्यान में रखा जाता है। खुदरा मुद्रास्फीति को 6 प्रतिशत के दायरे से नीचे रखने में विफल रहने पर रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ( Monetary Policy Committee- MPC) ने इस महीने की शुरुआत में सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेष ऑफ-साइकिल बैठक की थी।
थोक महंगाई दर में भी गिरावट
वहीं अक्टूबर में थोक महंगाई दर के आंकड़े में भी कमी आई है और ये सितंबर के मुकाबले कम है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 8.39 फीसदी हो गई है। ऐसा 19 महीने बाद हुआ है कि ठोक महंगाई दर दहाई के आंकड़े से कम हुई हो। सितंबर में थोक महंगाई दर 10.7 फीसदी पर थी, जबकि अगस्त में 12.41 फीसदी पर थी। थोक महंगाई दर में गिरावट के कारण खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में कमी आ सकती हैं। वहीं खाद्य महंगाई दर की बात करें तो ये भी घटकर 6.48 फीसदी पर आ गई है और सितंबर में खाद्य महंगाई दर 8.08 फीसदी पर रही थी।
वहीं मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट की महंगाई दर भी घटकर 4.42 फीसदी पर आ गई है। सितम्बर में यह 6.34 फीसदी पर थी। जबकि फ्यूल एंड पावर सेगमेंट की महंगाई दर भी घटकर 23.17 फीसदी पर आ गई है, जबकि इसके पहले का आंकड़ा 32.61 फीसदी था।