देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर सुस्ती की गिरफ्त में है। सितंबर में कोर सेक्टर के उत्पादन में 5.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। आठ में से सात सेक्टर में निगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई है। यह गिरावट कोयले, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, सीमेंट, स्टील और बिजली जैसे सेक्टर्स में दर्ज की गई है। केंद्र सरकार की ओर से जारी डाटा से यह बात सामने आई है।
जारी डाटा के मुताबिक उर्वरक क्षेत्र के उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस सेक्टर में 5.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बता दें कि ये आठ सेक्टर्स इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन(आईआईपी) के करीब 40 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कोल माइनिंग में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है जिसकी वजह से अन्य सेक्टर्स पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। पिछले साल यानि कि 2018 के सितंबर महीने में कोल माइनिंग सेक्टर में -8.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी जो कि इस साल सितंबर में घट कर -20.5 प्रतिशत हो गई है।
पिछले साल से इसकी तुलना करें तो कोर सेक्टर में 4.3 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली थी। बहरहाल आर्थिक मोर्च पर सुस्ती की मार झेल रही मोदी सरकार के लिए यह गिरावट चिंता का विषय है।
बता दें कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई है। सरकार ने सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए बीते दिनों कई फैसले लिए हैं जिनमें कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, लोन मेले का आयोजन, बैंकों को विलय आदि शामिल है।