कांग्रेस ने सातवें वेतन आयोग को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ धोखा करार देते हुए शनिवार को दावा किया कि महंगाई भत्ता मूल वेतन में नहीं मिलाए जाने से केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी केवल 14.29 फीसद होगी, जबकि केंद्र सरकार 24 फीसद बढ़ोतरी का दावा कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि वेतन आयोग हर 10वें साल स्थापित होता है और हर दशक के तीसरे साल में साधारणतया गठित हो जाता है। इसी तरह हर दशक के छठे साल साधारणतया वेतन आयोग लागू हो जाता है। पहली जनवरी 2016 से लागू होने वाला वेतन आयोग 2013 में हमारी यूपीए सरकार ने स्थापित दिया था। लेकिन दुर्भाग्य से सातवां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों की आशाओं से विपरीत है और एक तरह से उनके साथ बहुत बड़ा धोखा है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सातवां वेतन आयोग आने से पहले ही हमारा महंगाई भत्ता 116 फीसद बेसिस हो गया है और अब 2016 आते-आते 125 फीसद हो जाएगा। यानी महंगाई भत्ता मूल वेतन से 125 फीसद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने पहले भी केंद्र सरकार से मांग की थी कि वेतन आयोग की रिपोर्ट आने से पहले महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिला दिया जाए, जैसा कि हमेशा होता आया है। इस बार महंगाई भत्ते को मूल वेतन में नहीं मिलाया गया। केंद्र सरकार कहती है कि कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी 24 फीसद होगी, जबकि महंगाई भत्ता मूल वेतन में नहीं मिलने से यह बढ़ोतरी केवल 14.29 फीसद है। माकन ने कहा कि इससे पहले भी 2006 में जब छठा वेतन आयोग आया था 40 फीसद बढ़ोतरी हुई थी। उससे पहले 1996 में भी 40 फीसद की बढ़ोतरी हुई थी।

उन्होंने इस वेतन आयोग की सिफारिशों में और कई खामियां होने का दावा करते हुए कहा कि सबसे बड़ी कमी इसमें यह है कि सबसे छोटे और सबसे बड़े कर्मचारी के बीच वेतन का अंतर बढ़ गया है। पहले यह अंतर सबसे कम और सबसे अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों के बीच में एक अनुपात 12 था। यह अंतर अब एक और 14 के अनुपात में कर दिया गया है। जिसका अर्थ है कि छोटे और बड़े कर्मचारियों के बीच 14 गुना वेतन का फर्क होगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले छठे वेतन आयोग में सालाना वेतन बढ़ोतरी 3 से 4 फीसद थी। जिसको इस बार केवल 3 फीसद तक कर दिया गया है।

इसके अलावा इस बार फीसद आधारित भत्ते भी कम कर दिए गए हैं। यातायात भत्ता छठे वेतन आयोग में महंगाई भत्ते से जोड़ दिया गया था। अब महंगाई के साथ ये भत्ता नहीं बढ़ पाएगा। उन्होंने कहा कि बीमा कवरेज की राशि भी बढ़ा दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि यूजीसी के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और लेक्चरार इत्यादि के लिए साथ के साथ ही यूजीसी को सिफारिश दे दी जाती थी। दुर्भाग्य से अभी ऐसा नहीं हुआ है।