नई दिल्ली। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में शीर्ष उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख और अन्य से जुड़े मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर विशेष अदालत में अब बहस 21 अक्तूबर को होगी।
विशेष सरकारी वकील आर एस चीमा इस मामले में आज बहस के लिए विशेष अदालत में उपस्थित नहीं हो सके थे। सीबीआई के अनुरोध पर न्यायाधीश भारत पराशर ने सुनवाई के लिए 21 अक्तूबर की तारीख तय की।
चीमा और वरिष्ठ सरकारी वकील वी के शर्मा की गैर मौजूदगी को देखते हुए सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट पर बहस के लिए नयी तारीख दिए जाने का आग्रह किया।
12 सितंबर को सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआई से पूछा था कि इस मामले को बंद करने की इतनी जल्दबाजी क्यों है। सीबीआई ने इस मामले में बिड़ला, पारेख और कुछ अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की थी जबकि सीबीआई के जांच अधिकारी ने कहा था कि बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को के आवंटन के बारे में स्क्रीनिग कमेटी की जिस बैंठक में विचार किया गया था उसकी कार्यवाही रपट के मूल दस्तावेज ‘लापता’ हैं। सीबीआई ने यह भी बताया कि इन दस्तावेजों की गुमशुदी की जांच के लिए एक प्राथमिक जांच :पीई: रपट दर्ज कराई जा चुकी है।
सीबीआई ने इस मामले को बंद करने के लिए क्लोजर रपट 28 अगस्त को दाखिल की थी जबकि एफआईआर पिछले साल अक्तूबर में दर्ज की गई थी।
एफआईआर में कहा गया था कि पारख ने ओडिशा में तालाबीरा 2 व 3 कोयला ब्लाकों के आवंटन के लिए हिंडाल्को के आवेदन को खारिज करने का निर्णय बिना किसी वैध आधार के पलट दिया गया जबकि इस दौरान परिस्थितियों में भी कोई बदलावा नहीं हुआ था। सीबीआई ने एफआईआर में कहा था कि इस इस मामले में ‘बहुत पक्षपात’ किया गया।
ये आबंटन 2005 के हैं।
एफआईआर में एजेंसी ने कहा था कि पारख की अध्यक्षता में स्की्रनिंग कमेटी की 25वीं बैठक में कई ‘वैध कारणों’ के आधार पर हिंडाल्को और इंडाल इंस्ट्रीज के खान संबंधी आवेदनों को रद्द कर दिया गया था।