भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW) ने केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा योजना (CGHS) और केंद्रीय सेवा (चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 1944 (CS(MA) नियम) के अंतर्गत एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कर्मचारियों (सेवारत/पेंशनभोगी) के आश्रित ट्रांसजेंडर बच्चे और भाई-बहन अब उम्र की परवाह किए बिना चिकित्सा लाभ प्राप्त कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी करके इस बात की जानकारी दी है। यह निर्णय ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अनुरूप है।
हाल ही में जारी एक सरकारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि ट्रांसजेंडर बच्चे या भाई-बहन पूरी तरह से आर्थिक रूप से आश्रित होने चाहिए, जिसकी परिभाषा और आय सीमा स्वास्थ्य मंत्रालय की 2016 की अधिसूचना में पहले ही निर्धारित की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त, उनके पास ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत मान्य, जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी प्रमाण पत्र होना चाहिए।
पिछले 1 साल में CGHS के दिशा-निर्देशों में हुए अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
ऑनलाइन प्रणाली मजबूत
सरकार ने इस वर्ष CGHS पोर्टल और मोबाइल ऐप को और बेहतर बनाया, जिससे लाभार्थी आसानी से अस्पतालों की लिस्, दवाओं की उपलब्धता और अपने मेडिकल बिलों की स्थिति देख सकें।
कैशलेस उपचार का विस्तार
सरकार ने 2025 में रिटायर्ड कर्मचारियों और उनके परिवारों को राहत प्रदान करते हुए, कैशलेस उपचार को और अधिक अस्पतालों तक विस्तारित किया।
नए अस्पतालों को मान्यता
मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में देश भर के कई प्रमुख निजी अस्पतालों और डायग्नोस्टिक केंद्रों को सीजीएचएस पैनल में जोड़ा है। इससे पहुंच बढ़ी है।
ऑनलाइन रेफरल सिस्टम
डॉक्टर से रेफरल प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। अब कई जगहों पर ऑनलाइन रेफरल उपलब्ध हैं, जिससे लंबी कतारें खत्म हो गई हैं।
दवाओं की उपलब्धता में सुधार
दवा आपूर्ति से संबंधित शिकायतों को कम करने के लिए, मंत्रालय ने आपूर्ति श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित किया है। 2025 में दवा भंडार की रीयल-टाइम निगरानी शुरू की गई।