सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) इन दिनों आर्थिक परेशानियों में घिरी है। यही वजह है कि केंद्र सरकार लागत को करने और कंपनी के राजस्व में सुधार के लिए 80,000 कर्मचारियों को स्वैच्छिक रिटायरमेंट स्कीम (Voluntary Retirement Scheme (VRS)) के तहत सेवानिवृत्त देने पर विचार कर रही है। एक अंग्रेजी अखबार ने खबर है दी है कि कंपनी अगर अस्सी हजार कर्मचारियों को जल्द नमस्ते कहती हैं तो इसके वेज बिल (मजदूरी भुगतान) से करीब 7,500 करोड़ रुपए बच जाएंगे। BSNL साल भर अपने कर्मचारियों के वेतन में 14,155 करोड़ रुपए खर्च करती है।

उल्लेखनीय है कि दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी में अभी करीब 1.59 कर्मचारी हैं, इनमें 1.05 लाख ऐसे कर्मचारी है जो पचास साल की उम्र पार कर चुके हैं। अंग्रेजी अखबार ईटी की खबर के मुताबिक बीएसएनएल ने कर्मचारियों को आकर्षक वीआरएस प्लान देने की योजना की मंजूरी के लिए सरकार के पास जो प्रस्ताव भेजा था उसे मंजूरी मिल गई है। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद बीएसएनएल अपनी इस योजना पर काम शुरू करने जा रही है। बताया जाता है कि वीआरएस कार्यक्रम 30 दिनों की अवधि के लिए खोला जाएगा।

सरकार ने बीएसएनएल और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के कर्मचारियों के लिए वीआरएस के दिशानिर्देशों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन भी कर दिया है। उम्मीद है कि समिति बुधवार यानी आज अपनी रिपोर्ट जमा कर दे। कंपनी के कुल राजस्व का तीन चौथाई हिस्सा कर्मचारियों की तन्खवाह देने में खर्च हो जाता है। ऐसे में 80,000 कर्मचारियों को वीआरएस देने के बाद कंपनी को राजस्व में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। एम्पलॉय यूनियन के अनुसार, बीएसएनल का राजस्व 32,000 करोड़ से घटकर 18,000 करोड़ रह गया है।

बता दें कि रिलायंस जियो के दूरसंचार क्षेत्र में आने के बाद कई कंपनियों के राजस्व पर बुरा असर पड़ा है। बीएसएनएल भी इस असर से अछूती नहीं रही है। उल्लेखनीय है कि बीएसएनएल अपने कर्मचारियों को अगस्त माह की सैलरी अभी तक नहीं दे पाई है और यह तीसरी बार है, जब बीएसएनएल ने अपने कर्मचारियों को सैलरी देने में देरी की है।