सीबीआइ ने सोमवार को विशेष अदालत से कहा कि उसने दो लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति पर विचार करने के लिए सक्षम प्राधिकार के पास अनुरोध भेजा है। इन लोक सेवकों को कोयला घोटाला मामले में आरोपी के तौर पर तलब किया गया है।

एजंसी ने विशेष सीबीआइ न्यायाधीश भरत पाराशर को सूचित किया कि दो सरकारी सेवकों कोयला मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव के एस क्रोफा और कोयला आबंटन सेक्शन-1 में तत्कालीन निदेशक केसी सामरिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दंडनीय कथित अपराधों के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति के लिए अनुरोध अधिकारियों को भेजा गया है।

जज ने कहा कि जांच अधिकारी ने कहा है कि 13 अक्तूबर के आदेश के संदर्भ में दो लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने पर विचार करने के लिए सक्षम प्राधिकार को आवश्यक दस्तावेज सौंपे गए हैं। मामले की सुनवाई अब 16 जनवरी के लिए निर्धारित की जाए। मामला मध्य प्रदेश की कंपनी कमल स्पांज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) द्वारा मध्य प्रदेश में थेसगोरा-बी, रुद्रपुरी कोयला खदान हासिल करने के लिए कथित तौर पर तथ्यों की गलत बयानी से संंबंधित है।

अदालत ने इससे पहले कोयला सचिव एच सी गुप्ता, क्रोफा, सामरिया, केएसएसपीएल के प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया, चार्टर्ड एकाउंटेंट अमित गोयल और फर्म को मामले में आरोपी के तौर पर तलब किया था। अदालत ने इस प्रकरण को बंद करने के लिए सीबीआइ की रिपोर्ट स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। इन पांचों आरोपियों को इससे पहले अदालत ने जमानत दे दी थी जब वे अपने खिलाफ जारी समन के मद्देनजर अदालत के समक्ष उपस्थित हुए थे।

सभी आरोपियों को आइपीसी की धारा 120 बी(आपराधिक साजिश),धारा 409 (लोक सेवक की ओर से आपराधिक विश्वास हनन)और धारा 420 के तहत तलब किया गया था। सिर्फ गुप्ता को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों के लिए तलब किया गया था। अदालत ने अपने 13 अक्तूबर के आदेश में गौर किया था कि सामरिया और क्रोफा अब भी सरकारी सेवा में हैं इसलिए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति के अभाव में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दंडनीय कथित अपराधों के लिए संज्ञान नहीं लिया जा सकता।