देश के मशहूर औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप ने अपनी मशहूर कार टाटा सूमो का नाम समूह के ही एक कर्मचारी सुमंत मूलगांवकर के नाम पर रखा था। आमतौर पर लोग अनुमान लगाते थे कि शायद बड़ी कार होने के चलते इसका नाम सूमो रखा गया है, लेकिन ऐसा नहीं था। दरअसल सुमंत मूलगांवकर टाटा मोटर्स के एमडी थे और उनके सम्मान में इस कार का नाम टाटा सूमो रखा गया था। ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि आखिर सुमंत मुलगांवकर टाटा समूह के लिए इतने खास क्यों थे। आइए विस्तार से जानते हैं सुमंत मुलगांवकर के बारे में…

इंपीरियल कॉलेज लंदन से इंजीनियरिंग करने में बीएससी (हॉनर्स) और सीमेंट इंडस्ट्री में काम करने के बाद सुमंत मूलगांवकर टाटा इंडस्ट्रीज से जुड़े थे। 1966 में सुमंत मुलगांवकर को टाटा आयरन और स्टील कंपनी लिमिटेड का वाइस प्रेसिडेंट बनाकर जिम्मेदारी सौंपी गई। इसी वर्ष मुलगांवकर को टाटा एक्सपोर्ट लिमिटेड का चेयरमैन भी बनाया गया। इसके अलावा वह टाटा कंसलटिंग इंजिनियर्स के भी चेयरमैन थे, जिसकी शुरुआत इंजीनियरिंग फील्ड में स्पेशलाइज्ड कंसलटेंसी सर्विस के लिए की गई थी।

देश के रिसर्च, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, क्वालिटी कंट्रोल, टेक्निकल एंड मैनेजरियल इंडस्ट्री ग्रोथ में सुमंत मुलगांवकर का अहम योगदान है। सुमंत मूलगांवकर को TELCO का निर्माता भी कहा जाता है जिसकी कमान उन्होंने लगभग 40 साल तक संभाली। सुमंत मुलगांवकर के नेतृत्व में टाटा मोटर्स दुनिया की दिग्गज कंपनी बनी। सुमंत मूलगांवकर के विजन के कारण ही टाटा मोटर्स को इतनी कामयाबी प्राप्त हुई। मूलगांवकर ने फैक्ट्री लगाने के साथ-साथ कर्मचारियों और टेक्नोलॉजी पर भी ध्यान दिया, जिसके कारण टाटा मोटर्स कामयाब हो पाई।

उनकी लॉन्ग टर्म स्ट्रेटीजी टाटा मोटर्स के हितों के साथ देश की जरूरतों के हिसाब से भी रही। सुमंत मूलगांवकर कहते थे भारत को इंडस्ट्रियल नेशन बनाने के लिए स्पेशली ट्रेंड माइंड्स की जरूरत है। सुमंत मूलगांवकर ने शुरूआत से ही TELCO के कर्मचारियों को जरूरी स्किल्स और टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग दी। सुमंत मुलगांवकर ने टाटा मोटर्स में टेक्नोलॉजी को खूब बढ़ावा दिया। इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर, मशीन टूल,प्रेस टूल डिवीजन की स्थापना में भी सुमंत मुलगांवकर का अहम योगदान रहा। उन्होंने अपने कर्मचारियों को खूब सहयोग किया और नौजवान कर्मचारियों को चैलेंजिंग काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।

टाटा ग्रुप और रतन टाटा की तरह सुमंत मुलगांवकर भी सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते थे। एक बार FIE फाउंडेशन ने उन्हें राष्ट्रभूषण अवार्ड से सम्मानित किया, जिसकी धनराशि 1 लाख रूपयों को मूलगांवकर ने ठाणे के गरीब लोगों के उत्थान के लिए दान कर दिया। इसके अलावा उनके नेतृत्व में रूरल डेवलपमेंट एक्टिविटीज TELCO की टॉप प्रायरिटी का हिस्सा थी।