Royal Enfield Silencer Change Effects: आज के समय में युवाओं में Royal Enfield बुलेट को मोडिफाई करने का खास क्रेज देखने को मिलता है। बाइक मोडिफिकेशन बेशक आपको एक यूनिक अंदाज प्रदान करता है और लोग आपकी बाइक के डिजाइन को अलग मानते हैं। लेकिन ये मोडिफिकेशन वहीं तक सही है जहां तक की इसका असर आपके बाइक की लाइफ और परफार्मेंश पर नहीं पड़ता है। ऐसा कोई भी बदलाव जो कि बाइक के लाइफ पर असर डाले वो मोडिफिकेशन कहीं से भी सही नहीं है।

सड़क पर रॉयल एनफील्ड बुलेट से फर्राटा भरते ज्यादातर युवाओं को देखा जाता है कि उन्हें अपनी बाइक के साइलेंसर से अवाज निकालना पसंद आता है। इसके लिए वो अपने बाइक में कंपनी द्वारा दिए गए साइलेंसर यानि की एग्जॉस्ट को हटाकर बाजार में उपलब्ध अन्य साइलेंसर का प्रयोग करते इैं। तो आज हम आपको 5 प्रमुख बिंदूओं के माध्यम से बताते हैं कि आखिर किस तरह से Royal Enfield का silencer बदलना आपकी बाइक के लिए नुकसानदेह है।

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1. पॉवर और टॉर्क में कमी: जब बाइक के एग्जॉस्ट को बदल देते हैं तो इसका सीधा असर बाइक के परफार्मेंश पर पड़ता है। जिसके चलते बाइक का बैक प्रेशर कम हो जाता है और इससे बाइक के इंजन द्वारा जेनरेट किया जाने वाला पॉवर और टॉर्क भी कम हो जाता है। इससे आपको बेहतर पिक अप और स्पीड नहीं मिलती है।

2. माइलेज पर असर: बाइक का एग्जास्ट बदलने का असर न केवल परफार्मेंश पर पड़ता है बल्कि इससे बाइक का माइलेज भी प्रभावित होता है। बैक प्रेशर कम होने के कारण माइलेज कम हो जाता है। कंपनी के अलावा दूसरे किसी एग्जास्ट का प्रयोग करने से तकरीबन 4 से 5 किलोमीटर प्रतिलीटर का माइलेज कम हो जाता है।

3. बाइक में वाइब्रेसन: इसके अलावा इस तरह के एग्जास्ट से बाइक का जो सामान्य क्रूजिंग स्पीड होता है वो भी कम हो जाता है। जिसके चलते जब आप बाइक को 80 किलोमीटर या फिर उससे उपर ड्राइव करते हैं तो उस वक्त बाइक में वाइब्रेसन बढ़ जाता है। जो कि शायद किसी को भी पसंद नहीं आता है।

4. ध्वनि प्रदूषण: ये सबसे बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है। नियम के अनुसार आबादी वाले क्षेत्र में 55 डेसिबल तक ध्वनि को सामान्य माना जाता है और किसी भी बाइक से उत्पन्न होने वाली ध्वनि 55 डेसिबल से कम ही होनी चाहिए। लेकिन जब आप साइलेंसर बदलते हैं तो ये 100 से भी ज्यादा डेसिबल का ध्वनि प्रदूषण करता है तो कि गैरकानूनी है। कुछ शहरों जैसे बैंगलुरू, पूणे और चंडीगढ़ में तो ट्रैफिक पुलिस ने इस तरह के साइलेंसर के प्रयोग पर बैन भी लगा चुकी है।

5. इंजन हीटिंग: इस तरह के साइलेंसर के प्रयोग के वजह से आपकी बाइक का इंजन भी हीट होना शुरू हो जाता है। क्योंकि ऐसे साइलेंसर के चलते आपको पर्याप्त मात्रा में पिक अप और स्पीड नहीं मिल पाती है और आप कम गियर में ही ज्यादा एक्सलेटर का प्रयोग करते हैं। ऐसे में लांग ड्राइव के दौरान बाइक का इंजन जल्दी ही हीट हो जाता है।

नोट: याद रखें कि कंपनी अपनी बाइक में जो कुछ भी तकनीक और मशीनरी प्रयोग करती है, उसे योग्य इंजीनियरों द्वारा सभी मानकों और सुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। ऐसे में यदि आप बाइक के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि से छेड़-छाड़ करते हैं तो इसका सीधा असर बाइक के परफार्मेंश और लाइफ दोनों पर पड़ता है, इसलिए ऐसा करने से बचें।