देश का ऑटोमोबाइल बाजार लगातार मंदी की मार झेल रहा है। देश की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनियां लो डिमांड के चलते अपने प्लांट में प्रोडक्शन को रोकने को मजबूर हो रहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ इन कंपनियों पर अपने वाहनों को नए BS-6 उत्सर्जन मानक के अनुसार अपडेट करने का भी दबाव है। ऐसे में वाहन कंपनियों के संगठन सियाम ने कहा कि नरमी के दौर से गुजर रहे उद्योग के लिये साल का शेष समय आसान रहने वाला नहीं है।

इंडस्ट्री को अप्रैल 2020 से BS-4 की जगह BS-6 उत्सर्जन नियमों का अनुपालन करते हुये काम करना है और यह उसके लिये आसान नहीं है। इसे बड़ी चुनौती करार देते हुए सोसाइटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (SIAM) के अध्यक्ष राजन वढ़ेरा ने कहा कि सभी मॉडलों को लेकर नये उत्सर्जन नियमों को पालन करने के लिये प्रत्येक वाहन निर्माताओं को औसतन 1,000 करोड़ रुपये के करीब खर्च करने पड़ रहे हैं।

फेडरेशन आफ आटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन (एफएडीए) के सालाना वाहन खुदरा सम्मेलन में वढ़ेरा ने कहा, ‘‘वाहन उद्योग में पिछले आठ महीने में हम सभी ने वृद्धि में गिरावट देखी है। अगस्त महीने में इसमें सर्वाधिक 30 प्रतिशत की गिरावट आयी।’’ उन्होंने कहा कि वाहन उद्योग में वाहन निर्माताओं से लेकर उसके कल-पुर्जे बनाने वाले से लेकर डीलर तक नरमी से प्रभावित हैं।

वढ़ेरा ने कहा, ‘‘इस साल का बचा हुआ समय हमारे लिये कठिन है। इसका कारण उद्योग को अप्रैल 2020 से बीएस-कश् की जगह बीएस-श्क उत्सर्जन नियमों को लागू करना है।’’ उन्होंने कहा कि वाहन क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी आ रही है जिसे सभी मॉडलों में अगले तीन साल में लागू करना है।

बिना किसी खामी के उत्पाद बनाना एक बड़ी चुनौती है। वढ़ेरा ने कहा, ‘‘मूल उपकरण बनाने वाली कंपनियां (ओईएम) अपने उत्पादों को उन्नत बनाने के लिये औसतन करीब 1,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं।’’

इनपुट: भाषा