Difference Between Ex-Showroom & On-Road Price: भारत में अगर कोई कार बाजार में 9 से 10 लाख रुपये की कीमत में लॉन्च होती है, और अगर आप इस कीमत को देखकर सोचें की यह कार आपके बजट में हैं। तो थोड़ा संभल जाएं। क्योंकि वाहन की वास्तविक कीमत उसकी शोरूम कीमत की तुलना में अधिक होती है, और आपको अपने पसंदीदा वाहन को खरीदने के लिए अनुमान से ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। तो सवाल यह है कि वो कौन कौन-सी चीजें हैं जो वाहन के फाइनल प्राइस को बढ़ा देती हैं आइए विस्तार से बताते हैं:

क्या है एक्स-शोरूम मूल्य:  सबसे पहले आपको बताते हैं कि कार को खरीदते समय आपके द्वारा खर्च किए जा रहे पैसे का सबसे बड़ा हिस्सा एक्स-शोरूम कीमत होती है, यह वह कीमत होती है, जो आप विज्ञापनों में देखते हैं। वास्तव में यह कार का आधार मूल्य है, जो प्रत्येक जगह यानी लोकेशन के हिसाब से अलग-अलग होता है। इसके अलावा कार की कीमत में रोड टैक्स जैसे अन्य शुल्क भी लगाए जाते हैं।

रजिस्ट्रेशन शुल्क: यह वह शुल्क है जो कार को खरीदने के बाद उसके रजिस्ट्रेशन का लगता है, यह शुल्क सभी वाहनों पर राज्य के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) द्वारा पंजीकृत किया जाता है। यानी जहां खरीदार रहता है, कार का रजिस्ट्रेशन उसी शहर में होता है। इस शुल्क में नंबर प्लेट, स्मार्ट कार्ड आदि की कीमत शामिल होती है। एक बार पंजीकृत होने के बाद आपके वाहन को एक पंजीकरण संख्या दी जाती है जिसमें एक राज्य कोड भी शामिल होता है। जिसके बाद एक एरिया कोड, सीरीज कोड और फिर एक चार अंकों का नंबर शामिल होता है। जिससे आप अपनी गाड़ी का नंबर भी कहते हैं।

रोड टैक्स :रोड टैक्स प्रत्येक राज्य में अलग होता है, यह वह कर है जो आप सड़क पर वाहन चलाने में सक्षम होने के लिए भुगतान करते हैं। यह वाहन के पंजीकरण की अवधि के दौरान एक बार दिया जाता है। जो पंजीकरण की तारीख से लगभग 10 या 15 साल के लिए मान्य होता है। यह कर एक्स-शोरूम मूल्य के 3 प्रतिशत से 20 प्रतिशत के भीतर होता है।

(TCS) टैक्स कलेक्टेड: भारत सरकार द्वारा एक प्रक्रिया के रूप में डीलरशिप पर टीसीएस यानी Tax Collected at Source लगाया जाता है, जो जून 2016 के बाद से एक्स-शोरूम कीमत का 1 प्रतिशत है। वाहन खरीदारों को इसका सर्टिफिकेट भी दिया जाता है, जो इनकम टैक्स भरते समय  खरीदार के खाते में वापस जमा कर दिया जाता है।

इंश्योरेंस: वाहन बीमा कितना अनिवार्य है, इस बात को सभी जानते हैं, कार को बेचते समय वाहन डीलर कार की एक्स शोरूम लागत में इंश्योरेंस को जोड़ देते हैं। जिसमें आपको आपकी जरूरत के हिसाब से विकल्प भी दिए जाते हैं। वाहन बीमे की लागत थर्ड-पार्टी बीमा के साथ सबसे अधिक कम हो जाती है। ये आप पर निर्भर करता है, कि आप-कौन सी पॉलिसी के सा​थ जाते हैं।

अन्य शुल्क: इसके अलावा नए वाहन पर कंपनी की ओर से एक्सटेंड वारंटी, एक्सेसरीज, सालाना मेंटनेंस पैकेज, आदि का भी शुल्क ग्राहक से वसूला जाता है। जिसकी पूरी कीमत वाहन की एक्स-शोरूम कीमत में जोड़ दी जाती है। इन सभी को जोड़कर कार की फाइनल कीमत यानी ऑन-रोड प्राइस बनता है।