Car Tyre Maintenance Tips: कार ड्राइविंग के दौरान कई बार ऐसा होता है कि आपको जाने अनजाने परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कार के चलने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उसके पहियों पर होती है। लेकिन यदि कार के पहिए ही सही सलामत न रहें तो फिर आपको स्मूथ और बेहतर ड्राइविंग का मजा नहीं मिल सकता है। आज हम आपको अपने इस लेख में कार के बदलने के संकेत और उसके मेंटेनेंस दोनों के बारे में बताएंगे।
जब आप कार ड्राइव कर रहे हों और आपके कार के पहियों का ग्रिप ठीक ढंग से न बन रहा हो तो ऐसे में ये समझ लेना चाहिए कि आपको कार के पहियों की जांच करने की सख्त जरूरत है। इसके अलावा कुछ और भी संकेत हैं जो बताते हैं कि आपको अब टायर बदलने की जरूरत है। आइये जानते हैं क्या हैं वो संकेत —
1. कार के पहियों का ग्रिप न बनना, या फिर स्मूथ सरफेश पर फिसलना।
2. कार के पहियों से आवाज आना और क्रैक्स का दिखना।
3. टायर का बार बार पंचर होना और पहियों में बम्पस निकलना।
4. कार के टायर के ट्रेड गैप का कम होना और घिस जाना।
5. ब्रेकिंग के समय टायर का तेजी से गर्म हो जाना और गंध आना।
6. टायर का 5 साल या फिर उससे ज्यादा पुरान होना।
यदि ऐसे कुछ संकेत आपको मिलते हैं तो ये समझ लेना चाहिए कि आपके टायर को तत्काल प्रभाव से जांच की जरूरत है। कार के पहियों की जांच हमेशा सर्विस सेंटर या फिर कुशल मैकेनिक से ही करवाएं। पूरी तस्दीक करने के बाद कार के पहियों को बदलें और ध्यान रखें कि टायर की गुणवत्ता अच्छी हो, कभी भी चालू किस्म के टायर का प्रयोग अपनी कार में न करें। आइये जानते हैं कि आखिर आप अपने कार के टायर को कैसे मेंटेन कर सकते हैं।
1. टायर रोटेशन: कार के टायर का रोटेशन सबसे ज्यादा जरूरी होता है। कार के अगले पहियों पर सबसे ज्यादा वजन होता है। ऐसे में अगले पहिये जल्दी खराब होते हैं। ऐसे में आप कार के पहियों को समय समय पर एक दूसरे से रिप्लेस कर के यानी कि रोटेट कर के उन्हें बेहतर बनाए रखा जा सकता है। सामान्य तौर पर का निर्माता कंपनियां 8,000 से 10,000 किलोमीटर पर टायर रोटेट करने की सलाह देते हैं। आप या तो क्रॉस रोटेशन कर सकते हैं, या फिर स्ट्रेट रोटेशन। लेकिन रोटेशन के समय ध्यान रखें कि कुछ कार कंपनियां अगले और पिछले हिस्से में अलग अलग तरह का टायर प्रयोग करती हैं। इस बात की तस्दीक जरूर करें।
2. टायर प्रेशर: कार के टायर के प्रेशर की जांच जरूर करें, सामान्य तौर पर लगभग हर महीने अपनी कार के टायर के प्रेशर यानी कि हवा की जांच करते रहना चाहिए। यदि आप कम हवा के साथ ड्राइव करेंगे तो इसका असर न केवल माइलेज, पिक अप और स्पीड पर पड़ेगा बल्कि इससे टायर की लाइफ भी खत्म होगी। हमेशा कार मैनुअल में दिए गए मानकों के अनुसार टायर में हवा भरवाएं।
3. टायर के ट्रेड की गहराई: टायर पर बने हुई डिजाइन के बीच के गैप को टायर ट्रेड कहते हैं। समय समय पर अपनी कार के पहियों के ट्रेड की जांच करते रहना चाहिए। यदि ये गहराई ज्यादा कम हो गई हो तो अपने पहियों की जांच करवाकर उन्हें बदल दें। इसे आप एक रुपये के सिक्के से भी जांच कर सकते हैं। सिक्के को टायर के इन गैप में डाले यदि आधे से ज्यादा सिक्का बाहर की तरफ दिखता है तो आपको तत्काल पहियों की जांच करवानी चाहिएं।
4. व्हील एलाइमेंट: पहियों के एलाइमेंट की जांच करवाना भी बेहद जरूरी होता है। यदि ड्राइविंग के दौरान आपको महसूस हो रहा है कि कार स्टीयरिंग की दिशा में पूरी तरह से नहीं चल रही है। या फिर पहियों में बब्लिंग महसूस हो रही है। तो तत्काल कार के पहियों का एलाइमेंट चेक करवाएं। यदि एलाइमेंट खराब होगा तो इसका असर भी पहियों की लाइफ पर पड़ेगा। इसके अलावा इसका असर कार के वाइब्रेशन, साउंड और परफॉर्मेंश पर भी पड़ता है।
5. खराब सड़कें: कोशिश करें कि आप बेहतर सड़क पर ड्राइव करें और बरसात के मौसम में पहियों का विशेष ख्याल रखें। ज्यादा खराब सड़कें आपके पहियों की लाइफ को कम कर देंगी। इसलिए कोशिश कर बेहतर सड़क का ही चुनाव करें। यदि पहियों के ट्रेड गैप में कोई कंकड पत्थर इत्यादि फंसा हुआ दिखे तो उसे निकाल दें।