Airbag Explosion Process: कारों में एयरबैग का होना बेहद जरूरी होता है, समय के साथ लोग कारों में​ दिए जाने वाले सेफ्टी फीचर्स को लेकर जागरूक हो रहे हैं। हाल ही में सरकार के आदेशानुसार 1 अक्टूबर, 2019 से सभी कारों में एयरबैग्स अनिवार्य कर दिए गए हैं। दुर्घटना के दौरान एयरबैग तेजी से एक विस्फोट के साथ खुलते हैं और कार में बैठे यात्रियों को कवर कर लेते हैं। जिससे यात्रियों को कम से कम नुकसान होता है। आइये जानते हैं क्या होता है एयरबैग और कैसे करता है ये काम —

क्या होता है एयरबैग: कार की स्टीयरिंग व्हील से लेकर डैशबोर्ड और दरवाजों के साथ ही कार के कई हिस्सों में एयरबैग का इस्तेमाल किया जाता है। ये एक तरह का खास नायलॉन फैब्रिक होता है जो किसी गुब्बारे की तरह खुलता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक एक्सीडेंट के समय एयरबैग के खुलने की स्पीड किसी बुलेट ट्रेन की स्पीड जितनी होती है। सामान्य तौर पर एयरबैग अपने पोजिशन साइट से 320 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से खुलता है। यानी कि आपके पलक झपकने से पहले ही एयरबैग अपना काम कर चुका होता है।

Airbags को सप्लीमेंट्री रेस्ट्रेंट सिस्टम (SRS) भी कहा जाता है। आपने कार की स्टीयरिंग व्हील पर (SRS Airbag) लिखा हुआ देखा होगा। जब अचानक ब्रेक लगाने पर आप पहले आगे और फिर पीछे की तरफ झटका खाते हैं, तो सीटबेल्ट्स आपको आगे जाने से रोकते हैं। एयरबैग्स आपको उसी झटके से लगने वाले सिर या गर्दन की चोट से बचाता है।

इसके पीछे की तकनीक यह है कि, कार के टकराने पर उसकी स्पीड एक दम कम हो जाती है। ऐसे में अचानक स्पीड के कम होने से एक्सेलेरोमीटर एयरबैग सर्किट को एक सिग्नल भेजती है, जो एयरबैग्स को एक इलेक्ट्रिक करंट पास करता है और एक केमिकल धमाका होने से बैग्स बाहर आ जाते हैं।

कैसे काम करता है एयरबैग: एयरबैग के पूरे सिस्टम में क्रैश सेंसर, इनफ्लेटर, नाइट्रोजन गैस और नायलॉन फैब्रिक शामिल होता है। इसमें सोडियम अजाइड (NaN3) और पोटैशियम नाइट्रेट (KNO3) का मिश्रण होता है। जब क्रैश सेंसर अपने सामने इनफ्लेटर को संकेत देता है तो ये मिश्रण गर्मी के कारण तत्काल रिएक्शन करते हैं। जिसके बाद नाइट्रोजन गैस तेजी से निकलती है और नायलॉन बैग को भरते हुए विस्फोट करती है, इसी के साथ एयरबैग खुल जाता है और यात्री के शरीर को कवर कर लेता है।

कब और कैसे खुलता है एयरबैग: एयरबैग के खुलने और इस पूरी प्रक्रिया के होने के बीच खास नियम लागू होता है। जब कार की स्पीड कम से कम 20 से 25 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा होती है, उसी वक्त एयरबैग सिस्टम एक्टिव होता है। हालांकि अलग अलग कंपनियों में किलोमीटर के बीच कुछ अंतर हो सकता है। एयरबैग के खुलने की प्रक्रिया कार के किसी भी वस्तु या जीव से होने वाले टक्कर से कुछ सेकेंड पहले ही शुरु हो जाता है। जो कि सेंसर द्वारा मॉनिटर किया जाता है, यही इनफ्लेटर को टक्कर का संकेत देता है।

कितना सुरक्षित है एयरबैग: कार में एयरबैग का होना बेहद जरूरी होता है। किसी भी आपात स्थिति में ये तत्काल एक्टिव होकर खुलते हैं और कार में बैठे यात्रियों को सुरक्षित कवर करते हैं। हालांकि ये निर्भर करता है कि कार में एयरबैग की संख्या कितनी है। भारतीय बाजार में सामान्य तौर पर एंट्री लेवल कारों में केवल ड्राइवर के लिए 1 एयरबैग और लग्जरी महंगी कारों में इनकी संख्या 8 तक होती है। इसमें कर्टन एयरबैग भी शामिल हैं।