हमें कई बार सुनने को मिलता है कि एक बेटे या एक बेटी ने अपने माता-पिता को प्रताड़ित किया। माता-पिता को प्रताड़ित करने के मामलों पर आय दिन कोर्ट में भी सुनवाई होती है। भारतीय संस्कृति कहती है कि बच्चे बड़े होने के बाद भी माता-पिता के साथ रहते हैं। अगर उनकी शादी भी हो जाए तो तब भी। अगर माता-पिता और बच्चों के बीच आपसी समझ और वित्तीय मुद्दों पर सहमति बन जाए तो फिर शादी के बाद भी वे उनसे अलग नहीं होते। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि सबकुछ सही होने के बाद भी परिस्थितियां सही नहीं होती और माता-पिता अपने बच्चों को घर से निकाल देते हैं या यूं कहें कि प्रॉपर्टी से बेदखल कर देते हैं। लेकिन क्या कानून घरवालों को यह अधिकार देता है कि वह अपने बच्चों को घर से बाहर निकाल दें या फिर प्रॉपर्टी से बेदखल कर दें? आज हम आपको इसके बारे में जानकारी देंगे।
बच्चों के व्यस्क होने के बाद यह पैरेंट्स पर निर्भर करता है कि वह उन्हें साथ रखना चाहते हैं या नहीं। 2016 में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक जजमेंट में कहा था ‘एक बेटा, जिसकी शादी हो जाती है उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि वह अभिभावकों के साथ रहे। वह उनके साथ तभी रह सकता है जब अभिभावक ऐसा चाहे।’
दिल्ली हाई कोर्ट ही नहीं बल्कि देश की अन्य अदालतों ने भी इसी तरह के जजमेंट पास किए हैं। ज्यादात्तर कोर्ट ने कहा है कि अगर बेटा या बेटी अपने मां-बाप को प्रताड़ित करते हैं तो उन्हें पैरेंट्स के पास इसका अधिकार है कि वह उन्हें घर से निकाल दें।’ इसके अलावा 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि पैरेंट्स दुर्व्यवहार करने वाले बच्चों को किसी भी तरह की प्रॉपर्टी से निकाल सकते हैं। ये प्रॉपर्टी स्वयं अर्जित, पैतृक और किराए की भी हो सकती है। कोर्ट का यह फैसला मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट 2007 के उस कानून में सुधार था जिसमें कहा गया है कि पैरेंट्स सिर्फ अपने बच्चों को सिर्फ स्व-अर्जित संपत्ति से ही बेदखल कर सकते हैं।
बेदखल किए जा चुके बच्चों का प्रॉपर्टी पर कानूनी अधिकार: अगर पैरेंट्स बच्चों को घर से निकाल देते हैं तो भारत में ऐसा कोई कानून नहीं कि उन्हें अस्वीकार किया हुआ माना जाए। अगर पैरेंट्स के पास स्व-अर्जित संपत्ति है तो वह अपने बच्चों को इससे भी बेदखल कर सकते हैं लेकिन अगर माता-पिता के पास मौजूद संपत्ति पैतृक है तो वह उससे बच्चों को बेदखल नहीं कर सकते। हालांकि अगर माता-पिता की मृत्यू हो जाती है तो यह संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारियों के पास जाएगी। मतलब साफ है कि अगर किसी बच्चे के अपने माता-पिता से संबंध बेहतर नहीं थे और माता-पिता की मौत हो जाती है तो प्रॉपर्टी पर उसका सीधा हक होगा।
बेदखल करने का क्या है तरीका: पैरेंट्स डिप्टी कमिशनर और जिला अधिकारी को एक एप्लिकेशन के जरिए दुर्व्यवहार करने वाले बच्चों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। हालांकि दिल्ली में पैरेंट्स एप्लिकेशन को डिप्टी कमिशनर और जिला अधिकारी को नहीं बल्कि सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी देंगे। एकबार एप्लिकेशन मिलने के बाद सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट 21 दिनों के भीतर अंतिम निर्णय भेजेंगे। नोटिस भेजने के 30 दिन तक प्रॉपर्टी को खाली नहीं किया जाता तो कानूनन बलपूर्वक खाली करवाया जा सकता है।