बातचीत के दौरान फोन कॉल कटने यानी कॉल ड्रॉप पर मुआवजा देने के दूरसंचार नियामक ट्राई के प्रस्ताव का जहां ग्राहकों ने समर्थन किया है वहीं कंपनियों ने कड़ा विरोध जताया है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इसी महीने इस मुद्दे पर परामर्श पत्र जारी कर राय मांगी थी। इसके तहत प्रस्ताव में ट्राई ने सुझाव दिया था कि कॉल ड्रॉप व खराब सेवाओं पर कंपनियों को ग्राहकों को भरपाई करनी चाहिए।
मायगॉव पोर्टल के जरिए इस प्रस्ताव पर सैकड़ों उपभोक्ताओं ने अपने हितों की रक्षा के लिए टिप्पणियां दी हैं। कॉल ड्रॉप के कारण होने वाले नुकसान का हवाला देते हुए लोगों ने मांग की है कि उन्हें हर ऐसी (ड्रॉप) कॉल के बदले दोगुनी लागत मिले। एक ग्राहक ने टिप्पणी की है,‘अगर कॉल बीच में कट जाती है तो उसका शुल्क नहीं लगना चाहिए क्योंकि हमारे ग्रामीण काल करते हैं तो अनेक बाद कनेक्टिविटी के अभाव में फोन कट जाता है, उन्हें बिना बात किए ही पैसे देने पड़ते हैं।’
वहीं दूरसंचार कंपनियों के संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) व एसोसिएशन ऑफ यूनीफाइड टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (एयूएसपीआई) ने ग्राहकों को भरपाई के प्रस्ताव का विरोध किया है।
एयूएसपीआई के महासचिव अशोक सूद ने कहा,‘हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि पांच सेकंड में या उसके बाद कटने वाली काल के लिए शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। ग्राहक पर कॉल की अवधि के लिए शुल्क लगना चाहिए।’
जीएसएम कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सीओएआई ने कहा है,‘ हमारा मानना है कि ग्राहकों को भरपाई से कॉल ड्रॉप की समस्या नहीं सुलझेगी क्योंकि साइटों की अनुपलब्धता तथा स्पेक्ट्रम की कमी आदि कॉल ड्रॉप की मुख्य वजह कायम है।’

