तमिलनाडु में घर खरीदारों को बड़ा झटका लगा है। तमिलनाडु सरकार ने भूमि और निर्माण समझौते के अविभाजित हिस्से (UDS) के अलग-अलग रजिस्ट्रेशन की तीन साल पुरानी प्रथा को खत्म कर दिया है। अब से कंप्लीट कंस्ट्रक्शन के मामलों में केवल एक संयुक्त बिक्री विलेख होगा, जिसमें स्टांप शुल्क और 9% का फ्लैट रजिस्ट्रेशन शुल्क शामिल होगा।

तमिलनाडु में घर खरीदना हुआ महंगा

इसका मतलब यह हुआ कि अब खरीदार को रजिस्ट्रेशन शुल्क के लिए लगभग 50% अधिक भुगतान करना होगा। 2020 से रजिस्ट्रेशन दो भागों में किए जा रहे थे – एक 9% रजिस्ट्रेशन शुल्क पर यूडीएस के लिए और दूसरा 4% शुल्क पर निर्माण समझौतों के लिए।

उदाहरण के लिए पहले 1 करोड़ की कीमत वाले फ्लैट के मामले में एक खरीदार को कुल रजिस्ट्रेशन शुल्क 6 लाख का भुगतान करना होता था, यदि उसने यूडीएस मूल्य के रूप में 40 लाख और भवन मूल्य के रूप में 60 लाख दिखाया हो। लेकिन अब उसी फ्लैट के लिए 9 लाख रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में भुगतान करेंगे, क्योंकि अब 9% शुल्क लगेगा।

पिछले कुछ महीनों में रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा यह तीसरी शुल्क वृद्धि है। पहले से ही इसने दिशानिर्देश मूल्य और विभाग की 20 सेवाओं में वृद्धि की है, जिसमें निर्माण अनुबंध और पावर ऑफ अटॉर्नी शामिल हैं।

सरकार के कदम के बाद बिल्डरों ने सरकार से इन सभी बढ़ोतरी को तत्काल वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा है कि इससे रियल एस्टेट क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CREDAI) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (दक्षिण) एस श्रीधरन ने कहा, “अतिरिक्त वित्तीय बोझ के कारण ग्राहकों की खरीद क्षमता में भारी गिरावट आएगी, जिससे बिक्री प्रभावित होगी और अंततः उद्योग धीमा हो जाएगा।”

CREDAI ने व्यक्त की चिंता

CREDAI की चेन्नई इकाई ने भी अपार्टमेंट की कुल लागत पर 9% की फ्लैट रजिस्ट्रेशन लागत पर चिंता व्यक्त की। CREDAI चेन्नई के सचिव पी कृतिवास ने कहा, “रजिस्ट्रेशन शुल्क के साथ खिलवाड़ करने से संभावित खरीदार निर्णय लेने से हतोत्साहित होगा। ये निर्णय उचित सार्वजनिक परामर्श के बिना लिए गए हैं।”