एक तो कोरोना काल में आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे लोगों को बजट में कोई राहत नहीं मिली है। दूसरी ओर, विनिवेश, अवसंरचना के बजट में बढ़ोतरी, कृषि क्षेत्र के लिए आबंटन का कोष जुटाने के लिए सेस का प्रावधान समेत कई ऐसे एलान हैं, जिनसे जेब हल्की होगी। भोजन सामग्री समेत रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली कई जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी।

न तो कर ढांचे में बदलाव है और न ही आयकर की धारा 80सी के तहत निवेश पर छूट बढ़ाई गई है। मध्य वर्ग उम्मीद लगाए बैठा था कि स्वास्थ्य से जुड़े खर्च पर करों में छूट मिलेगी, लेकिन बजट में इसे लेकर भी कोई घोषणा नहीं की गई।
आयकर के नियम 80डीडीबी में कोरोना महामारी को शामिल नहीं किया गया। कर नियमों के अनुसार, न्यूरो संबंधित बीमारी, कैंसर, एड्स समेत कई बीमारियों के लिए सेक्शन 80डीडीबी के तहत सालाना 40 हजार रुपए तक का कर कटौती का लाभ मिलता है।

एक दशक में यह पहला ऐसा बजट है, जिसमें प्रत्यक्ष कर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मौजूदा वक्त में इन दरों के मुताबिक आयकर भरना पड़ता है- पांच लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं, 5 से 7.5 लाख की आय के लिए 10 फीसद कर, पांच से 10 लाख तक के आय के लिए 15 फीसद, 10 से 12.5 लाख तक के आय पर 20 फीसद, 12.5 लाख से 15 लाख तक की आय के लिए 25 फीसद, 15 लाख के ऊपर पहले की तरह 30 फीसद कर देना होता है।

बजट में मध्य वर्ग के लिए भी कुछ खास एलान नहीं हुआ। सोने-चांदी पर कस्टम ड्यूटी को कम किया गया, लेकिन कई चीजों पर यह बढ़ा दी गई, जिससे उनकी कीमतों में बढ़ोतरी हो जाएगी। सरकार ने आॅटो पॉर्ट्स पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 15 फीसद कर दिया है। विदेशी मोबाइल पर आयात शुल्क 20 फीसद बढ़ा दी है।

वहीं देश में बनने वाले मोबाइल और चार्जर पर उत्पाद शुल्क 2.5 फीसद बढ़ा दी गई है, यानी इलेक्ट्रोनिक सामान महंगे हो जाएंगे। सरकार के बजट के बाद सूती, सिल्क, प्लास्टिक, लेदर, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, सौर ऊर्जा उपकरण, आयातित कपड़े, एलईडी बल्ब, फ्रिज/एसी, शराब, आदि महंगे होंगे।

पेट्रोल की कीमतों में 2.50 और डीजल की कीमतों में चार रुपए कृषि सेस लगाया गया है। सरकार कह रही है कि यह सेस कंपनियों को चुकाना होगा, लेकिन कंपनियां इस सेस की भरपाई के लिए कीमतें बढ़ाएंगी या नहीं, इसे लेकर कोई आश्वासन नहीं है। पुराने नियमों के हिसाब से कंपनियां अगली कीमत तय करेंगी तो जाहिर से दरें बढ़ा।

एक दशक में यह पहला ऐसा बजट है, जिसमें प्रत्यक्ष कर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मौजूदा वक्त में इन दरों के मुताबिक आयकर भरना पड़ता है- पांच लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं, 5 से 7.5 लाख की आय के लिए 10 फीसद कर, पांच से 10 लाख तक के आय के लिए 15 फीसद, 10 से 12.5 लाख तक के आय पर 20 फीसद, 12.5 लाख से 15 लाख तक की आय के लिए 25 फीसद, 15 लाख के ऊपर पहले की तरह 30 फीसद कर देना होता है।