ईपीएफ में जमा रकम : ईपीएफ खाते में जमा रकम पर आयकर कानून के सेक्शन 80 सी के तहत आयकर में छूट मिलती है। आपके ईपीएफ खाते में नियोक्ता की तरफ से जमा किए जाने वाले रकम पर भी टैक्स छूट मिलती है। इसमें शर्त यह है कि यह रकम आपकी आधारभूत वेतन (बेसिक सेलरी) के 12 फीद से ज्यादा न हो। रकम इससे अधिक है, तो बाकी रकम पर आयकर भरना होगा।

शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड से मिला एक लाख रुपए तक का रिटर्न : अगर आपने शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश किया है तो एक साल बाद इन्हें बेचने पर मिलने वाला एक लाख रुपए तक का रिटर्न कर मुक्त होता है। इस रिटर्न की गणना एलटीसीजी के तहत होती है। पिछले साल के बजट में शेयरों या इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश से मिलने वाले एक लाख रुपए से अधिक के रिटर्न पर एलटीसीजी कर लगा दिया गया है।

शादी-विवाह में मिले उपहार : शादी-विवाह में दोस्तों या रिश्तेदारों से मिले उपहारों पर कर नहीं चुकाना पड़ता। उपहार नियत तिथि को मिले तभी ऐसा हो सकता है। अगर आयोजन के छह महीने पहले या बाद में उपहार मिले तो आयकर में छूट नहीं मिलेगी। दूसरी शर्त है कि उपहार की कीमत 50 हजार रुपए से ज्यादा नहीं हो।

बचत खाते पर ब्याज : अगर आपके बैंक के बचत खाते से एक साल में 10,000 रुपए तक का ब्याज मिलता है तो आयकर कानून की धारा 80टीटीए के तहत इस पर आयकर से छूट मिलती है। अगर ब्याज सालाना 10,000 रुपये से ज्यादा है तो अतिरिक्त रकम पर आपको आयकर भरना होगा।

पार्टनरशिप फर्म से मिला मुनाफा : शेयर आॅफ प्राफिट के तौर पर मिली रकम आयकर देनदारी से मुक्त है। आपकी हिस्सेदारी कंपनी पहले ही कर चुका देती है। आयकर में छूट सिर्फ फर्म के मुनाफे पर है। मिलने वाले वेतन पर नहीं।

जीवन बीमा की रकम : जीवन बीमा पॉलिसी के पूरे (मेच्योर) होने पर मिलने वाली रकम आयकर मुक्त होती है। इसमें शर्त यह है कि आपकी जीवन बीमा पॉलिसी का सालाना प्रीमियम उसके सम अस्योर्ड के 10 फीसद से अधिक न हो। अगर जीवन बीमा पॉलिसी में प्रीमियम इससे अधिक है तो आपको अतिरिक्त रकम पर आयकर देना होगा।

वीआरएस में मिली रकम : बहुत से लोग नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेते हैं। इसमें मिली पांच लाख रुपए तक की रकम आयकर मुक्त है। यह सुविधा सिर्फ सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए है, निजी क्षेत्र के कामकाजी लोगों के लिए नहीं।

विरासत या वसीयत में मिली संपत्ति : अगर विरासत में संपत्ति, जेवर या नकदी मिली है तो आयकर नहीं चुकाना होता है। ऐसी संपत्ति से भविष्य में होने वाली कमाई या ब्याज से आमदनी पर आपको अपने कर ढांचे के अनुसार कर देना पड़ेगा।

कृषि आय : अगर आपके पास कृषि भूमि है और आप खेती या उससे जुड़ी गतिविधियों से कमाई कर रहे हैं तो आपको उस आमदनी पर किसी तरह का आयकर नहीं चुकाना पड़ता है। कृषि आय में उससे होने वाली उपज, किराए के रूप में मिलने वाली रकम आदि भी शामिल है।

कारोबारी में खिलाने-पिलाने का खर्च : अगर आप कारोबारी हैं तो कई तरह के लोगों से मिलना-जुलना होता है। उनको खिलाने-पिलाने में खर्च का बिल व्यावसायिक खर्च के रूप में दिखाया जा सकता है।