सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 2022-23 के बजट में करीब 350 वस्तुओं पर से सीमा शुल्क छूट वापस ले लिया है। दरअसल, सरकार की मंशा पूंजीगत वस्तुओं के निर्माण में तेजी लाने की कोशिश है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूंजीगत वस्तुओं और आयात की जानी वाली वस्तुओं पर दी जा रही सीमा शुल्क छूट की व्यापक समीक्षा की गई और 40 से अधिक सीमा शुल्क छूटों को धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा।
सीबीआइसी ने कहा कि इसी के साथ 350 वस्तुओं पर दी जा रही सीमा शुल्क छूट वापस ली जा रही है। संसद में मंगलवार को पेश बजट में कई सामानों पर सीमा शुल्क दर को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव रखा गया। इसमें पूंजीगत वस्तुओं और परियोजना आयात पर शुल्क को रियायती दरों को चरणबद्ध रूप से समाप्त करके और 7.5 फीसद का एक मध्यम कर लागू करने का भी प्रस्ताव रखा गया। हालांकि, देश के भीतर निर्मित नहीं होने वाली उन्नत मशीनरी के लिए सीमा शुल्क में छूट जारी रहेगी।
सरकार की मंशा पूंजीगत वस्तुओं के निर्माण में तेजी लाना है। राष्टीीय पूंजीगत वस्तु नीति के मुताबिक, 2025 तक सरकार की योजना निर्माण को दोगुना करने की है। पूंजीगत वस्तुएं वैसे सामान होते हैं जिसका सीधा इस्तेमाल उपभोक्ता नहीं करते हैं। पूंजीगत वस्तुओं की मदद से उपभोक्ता के लिए सामान तैयार किए जाते हैं। पूंजीगत वस्तुओं का इस्तेमाल उद्योगों और कंपनियों द्वारा किया जाता है। जानकारों का कहना है कि इन उपायों से मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बल मिलेगा।
सीमा शुल्क से सरकार के राजस्व में उछाल आया है। वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार की सीमा शुल्क से कमाई 1.34 लाख करोड़ रुपए थी जो वित्त वर्ष 2021-22 में 1.89 लाख करोड़ रहने का अनुमान है।अगले वित्त वर्ष (2022-23) के सीमा शुल्क वसूली का अनुमान 2.13 लाख करोड़ रुपए रखा गया है।
‘आयकर रिटर्न में संशोधन की मोहलत माफी योजना नहीं
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बुधवार को कहा कि आयकर रिटर्न (आइटीआर) में की गई गलतियों को दुरुस्त करने के लिए करदाताओं को दी गई दो साल की मोहलत कोई माफी योजना नहीं है और पहले खुलासा नहीं की गई आय पर उन्हें 25 फीसद कर चुकाना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए आइटीआर में आय ब्योरे से जुड़े संशोधन के लिए दो साल का वक्त देने की घोषणा की थी।
बजाज ने कहा कि करदाताओं के पास आइटीआर में किसी आय का ब्योरा न देने की कुछ वाजिब वजह हो सकती हैं और दो साल की यह मोहलत उन्हें अपने रिटर्न में सुधार का एक मौका देती है। उन्होंने कहा कि करदाताओं को रिटर्न में संशोधन का यह मौका स्थायी रूप से दिया जाएगा।
करदाता आइटीआर दाखिल करने के दो साल के भीतर उसमें संशोधन कर उस आय का ब्योरा दे सकते हैं जिसका खुलासा रिटर्न दाखिल करते समय नहीं किया गया था। हालांकि, संशोधित आइटीआर में घोषित अतिरिक्त आय पर करदाताओं को कर और ब्याज का भी भुगतान करना होगा। बजाज ने कहा कि 12 महीने के भीतर आइटीआर संशोधित करने पर करदाता को 25 फीसद देय कर एवं ब्याज देना होगा। लेकिन 12 महीने के बाद और 24 महीने के पहले संशोधन करने पर कर की दर 50 फीसद तक बढ़ जाएगी।
बजाज ने कहा कि आज के दौर में छोटे करदाता बड़े पैमाने पर वित्तीय लेनदेन कर रहे हैं, लिहाजा आइटीआर में कुछ आय का ब्योरा छूट जाने की गुंजाइश बनी रहती है। इसके अलावा विदेश गए लोगों के भी आइटीआर जमा न कर पाने की आशंका होती है, लिहाजा उन्हें भी रिटर्न दाखिल करने का मौका मिलेगा।इसके साथ ही राजस्व सचिव ने कहा कि अगले साल के आइटीआर में क्रिप्टोकरंसी से हुई आय का ब्योरा देने के लिए अलग से एक कालम भी जोड़ा जाएगा।