Budget 2025 Expectations: बजट 2020 में मोदी सरकार ने नए टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को पेश करने का ऐलान किया था। इस नए टैक्स रिजीम के साथ टैक्सपेयर्स को आसान टैक्स स्लैब केतहत कम टैक्स रेट का फायदा लेने का विकल्प दिया गया, लेकिन इसमें कोई कटौती और छूट शामिल नहीं थी। इस रिजीम की शुरुआत के समय से ही बहस होती रही है कि क्या सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम(Old Tax Regime) को पूरी तरह या फिर धीरे-धीरे खत्म कर देगी?
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इस बार भी बजट 2025 के साथ ऐसी खबरें हैं कि सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम को पूरी तरह खत्म कर सकती है। टैक्सपेयर्स बार-बार दो टैक्स सिस्टम के एक साथ चलने की जटिलता को दोहराते रहे हैं। नए टैक्स रिजीम को बजट 2023 में डिफॉल्ट ऑप्शन बना दिया गया, लेकिन अभी भी ये चिंता बरकरार है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी 3.0 सरकार के दूसरे पूर्ण बजट को 1 फरवरी को पेश करने की तैयारी कर रही हैं। बजट में टैक्स रिजीम को लेकर कई तरह की अटकलें हैं और टैक्सपेयर्स एक बार फिर आसान टैक्स सिस्टम के पक्ष में डुअल टैक्स रिजीम सिस्टम को खत्म करने की मांग कर रहे हैं ताकि करदाताओं के लिए जटिलताएं कम हो सकें।
दो टैक्स रिजीम होने के चलते जटिलताएं
एक्सपर्ट्स भी मौजूदा सिस्टम की जटिलताओं पर जोर देते रहे हैं और व्यक्तिगत टैक्सेशन को सरल और तर्कसंगत बनाने के उपाय अपनाने का सुझाव दे रहे हैं।
टैक्सेशन में अनुभवी विशेषज्ञ सीए (डॉ.) सुरेश सुराणा ने कहा, “अधिकांश व्यक्तिगत करदाता, विशेष रूप से वेतनभोगी व्यक्ति, अपनी कर देनदारी की गणना स्वयं करते हैं। पेशेवर सहायता (professional assistance) के बिना, उनके लिए सबसे अनुकूल टैक्स सिस्टम का आकलन करना और चुनना मुश्किल हो जाता है।”
उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि किसी व्यवसाय या पेशे से आय अर्जित करने वाला करदाता, जो धारा 115BAC के तहत न्यू टैक्स रिजीम से बाहर निकलता है, वह इसे केवल एक बार ही दोबारा चुन सकता है जिससे प्रक्रिया कम लचीली हो जाती है।
Budget 2025 Expectations: क्या पुराने टैक्स रिजीम को खत्म करना तर्कसंगत होगा?
पर्सनल टैक्सेशन पर आगामी बजट 2025 में डायरेक्ट टैक्सेशन में संभावित बदलावों पर अपने विचार साझा करते हुए Tax Connect Advisory Services LLP में पार्टनर विवेक जलान ने कहा कि पुराने टैक्स रिजीम को पूरी तरह से खत्म करना और नए टैक्स रिजीम के तहत आयकर स्लैब को तर्कसंगत बनाना अगला तार्किक कदम है।
उन्होंने कहा, ‘आज, नए टैक्स रिजीम के तहत, इनकम टैक्स पहले से ज्यादा आसान हो गया है। 7 लाख रुपये तक की आय छूट के साथ, टैक्सपेयर्स को ज़ीरो टैक्स देना होता है जबकि इससे पहले इसी इनकम लेवल पर उन्हें कर देना पड़ रहा था। 1 फरवरी, 2025 से इनकम टैक्स एक्ट का रिव्यू शुरु होना है, तो सरकार को नए रिजीम को ही एकमात्र टैक्स सिस्टम बनाने पर विचार करना चाहिए।’
“हालांकि, सरकार को मुद्रास्फीति के प्रभाव पर भी ध्यान देना चाहिए, जो पैसे के मूल्य पर लगभग 6% प्रति वर्ष है। नई व्यवस्था में कर की दर आसान करने से इसे कम करने में मदद मिल सकती है। उम्मीद है कि मूल छूट या छूट सीमा को ₹9 लाख तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे मध्यम वर्ग के हाथों में अधिक पैसा आएगा।
15 लाख रुपये से अधिक आय वाले करदाताओं के लिए, नए रिजीम में आने से वित्तीय झटका लग सकता है। जालान ने कहा, “इसे हल करने के लिए, सरकार 15 लाख रुपये से 18 लाख रुपये के बीच की आय के लिए 25% के टैक्स रेट के साथ एक नया टैक्स स्लैब पेश कर सकती है।” इस एडजस्टमेंट से न केवल स्थापित करदाताओं को राहत मिलेगी, बल्कि खर्च करने योग्य आय में भी वृद्धि होगी, खपत को बढ़ावा मिलेगा और बदले में, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।”
न्यू टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स स्लैब
आय (बजट 2024 के मुताबिक) वित्त वर्ष 2024-25 के लिए | इनकम टैक्स दर | आय (बजट 2024 से पहले) वित्त वर्ष 2023-24 के लिए |
0-3 लाख रुपये | कोई टैक्स नहीं | 0-3 लाख रुपये |
3-7 लाख रुपये | 5% | 3-6 लाख रुपये |
7-10 लाख रुपये | 10% | 6-9 लाख रुपये |
10-12 लाख रुपये | 15% | 9-12 लाख रुपये |
12-15 लाख रुपये | 20% | 12-15 लाख रुपये |
15 लाख रुपये से अधिक | 30% | 15 लाख रुपये से अधिक |
New Tax Regime Vs Old Tax Regime
न्यू टैक्स रिजीम 2020 में पेश किया गया था। शुरुआती सालों में ज्यादातर लोगों ने इस रिजीम को नहीं अपनाया था। सरकार इसे लोकप्रिय बनाने की कोशिश लगातार करती रही है। 2023 के बजट में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स संबंधी जो पांच राहत भरे कदमों की घोषणा की थी, वे न्यू टैक्स रिजीम से ही जुड़े थे।
ओल्ड टैक्स रिजीम में करीब दो दर्जन मद में छूट क्लेम कर सकते हैं। न्यू टैक्स रिजीम में यह महज 11 है। एचआरए, एलटीए, 80(सी), 80 (डी) सहित कई मद में छूट का प्रावधान न्यू टैक्स रिजीम में नहीं है।
2024 के मुताबिक, इनकम टैक्स स्लैब और स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव के बाद टैक्सपेयर्स को 17,500 रुपए तक का फायदा होगा। पहले सैलरी से होने वाली 15.75 लाख की इनकम पर 1 लाख 57 हजार 500 रुपए टैक्स बनता था। अब इन बदलाव के बाद 1 लाख 40 हजार रुपए टैक्स बनेगा।
न्यू टैक्स रिजीम में 7.75 लाख तक की आय टैक्स-फ्री
न्यू टैक्स रिजीम में नौकरीपेशा लोगों की 7.75 लाख तक की आय टैक्स-फ्री हो सकती है। अगर आपकी सैलरी से आय 7.75 लाख रुपये है तो 75 हजार रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन का घटा दें तो सात लाख बनता है। इनमें से तीन लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं देना है। बाकी के चार लाख पर पांच फीसदी, यानि 20 हजार रुपये टैक्स बनेगा। न्यू टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87(ए) के तहत 20 हजार रुपये की माफी मिल जाती है। इस तरह 7.75 लाख की आय पर जीरो टैक्स बन जाएगा।
ओल्ड टैक्स रिजीम
ओल्ड टैक्स रिजीम में छूट के विकल्प ज्यादा हैं, पर स्लैब चार ही हैं। इसमें ढाई लाख तक की इनकम ही टैक्स फ्री है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए का फायदा लेकर ओल्ड टैक्स रिजीम में 5.50 लाख रुपये तक की इनकम ही टैक्स फ्री हो सकती है, क्योंकि इसमें इस सेक्शन के तहत 12500 रुपये ही माफ होते हैं।
ओल्ड टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स स्लैब – Old Tax Regime Income Tax Slab
इनकम स्लैब (रुपये) | टैक्स रेट (प्रतिशत) |
ढाई लाख तक | शून्य |
ढाई से पांच लाख | पांच |
पांच से दस लाख | 20 |
दस लाख से ऊपर | 30 |