Budget 2024 Income Tax Expectations: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को अगले आम चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश करने जा रही हैं। सामान्य तौर पर अंतरिम बजट में कोई बड़ा टैक्स अमेंडमेंट नहीं किया जाता है। हालांकि मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को अभी भी कुछ राहत की उम्मीद है।
बजट से उम्मीद जताई जा रही है कि अधिक टैक्सपेयर्स को नई टैक्स व्यवस्था अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार टैक्स रेट में और कमी करेगी। बुनियादी सीमा को मौजूदा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने से निश्चित रूप से मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगा।
क्या टैक्स स्लैब में होगा बदलाव?
बजट 2023 में किए गए बदलावों के बाद नई टैक्स व्यवस्था में 7 लाख रुपये तक इनकम टैक्स भरने वाले टैक्सपेयर्स पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। नई टैक्स व्यवस्था इस आय वर्ग के लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है क्योंकि 7 लाख रुपये की आय के अलावा 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलता है। कुल मिलाकर 7 लाख 50 रुपये तक कोई टैक्स नहीं देना होगा।
नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स स्लैब
- 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं
- 3-6 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स (सेक्शन 87ए में टैक्स छूट)
- 6-9 लाख रुपये की आय पर 10 फीसदी टैक्स
- 9-12 लाख रुपये की आय पर 15 फीसदी टैक्स
- 12-15 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी टैक्स
- 15 लाख से अधिक की आय पर 30 फीसदी टैक्स
पुरानी टैक्स व्यवस्था में टैक्स स्लैब
- 2.5 लाख रुपये तक की आय पर बेसिक छूट टैक्स छूट मिलती है
- 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स
- 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की आय पर 15 फीसदी टैक्स
- 7.5 लाख से 10 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी टैक्स
- 10 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है
स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाया जाएगा?
चूंकि टैक्स कटौती/छूट नई टैक्स व्यवस्था के तहत उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए विभिन्न खर्चों की कटौती के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की उम्मीद टैक्सपेयर्स कर रहे हैं। यह सैलरी पाने वाले टैक्सपेयर्स को व्यवसाय या प्रोफेशनल से कमाई वाले अन्य इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के बराबर होने की ओर ले जाएगा। इसके बाद ये कमाई में विभिन्न प्रकार के खर्चों में कटौती का दावा करने के पात्र हो जाएंगे।
कामकाजी आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए स्वास्थ्य बीमा और पेंशन लाभ तक पहुंच एक आवश्यकता बनी हुई है। पुरानी टैक्स व्यवस्था (विशेषकर संगठित क्षेत्र में) इसे प्रोत्साहित करने के लिए कुछ टैक्स कटौती प्रदान करती थी। हालांकि नई टैक्स व्यवस्था में ऐसा नहीं है क्योंकि सरकार का इरादा सिंपल टैक्स व्यवस्था की ओर बढ़ने का है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही कि सरकार नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब में बदलाव करेगी या स्वास्थ्य देखभाल और सेवानिवृत्ति के लिए बचत को प्रोत्साहित करने के लिए कटौती का नियम बनाएगी।
टैक्स संबंधी प्रावधानों को आसान बनाना
वर्तमान में आयकर अधिनियम, 1961 (अधिनियम) में टीडीएस कटौती के लिए विभिन्न स्लैब और दरों (यानी, 0.1% से 30% तक) के साथ तीस से अधिक धाराएं हैं। इससे टैक्स को समझने में काफी दिक्कत आती है। इंडस्ट्री ने हाल के वर्षों में वर्गीकरण और व्याख्या के संबंध में कई चिंताएं उठाई हैं। तकनीकी सेवाओं (FTS) और पेशेवर सेवाओं के लिए फीस के बीच अंतर भी एक मुद्दा है। इसलिए भारत में टीडीएस व्यवस्था की समीक्षा करना और अनुपालन में आसानी के लिए आवश्यक संशोधन लाना भी जरूरी है।
नई टैक्स व्यवस्था के लिए 80D लिमिट का विस्तार
चिकित्सा और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों से संबंधित प्रीमियम के भुगतान के संबंध में अधिनियम की धारा 80D के तहत कटौती वर्तमान में केवल पुरानी टैक्स व्यवस्था का चयन करने वाले व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है। इसे नई टैक्स व्यवस्था के तहत भी बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि चिकित्सा खर्च व्यक्तियों के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है। ऐसी उम्मीद भी मिडिल क्लास लगाए बैठा है।
एजुकेशन लोन के लिए यानी धारा 80E में कटौती
ये फायदा वर्तमान में केवल पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत उपलब्ध है। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि ये नई टैक्स व्यवस्था के तहत भी उपलब्ध होगी। इससे सरकार की योजनाओं जैसे आत्मनिर्भर योजना, स्टार्टअप इंडिया योजना, कौशल विकास योजनाओं आदि को बढ़ावा देने और युवा टैक्सपेयर्स के कौशल विकास को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।