राजस्थान विधानसभा में प्रदेश के चर्चित खनिज घूस कांड का मामला गूंजा। भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने इस मामले में अपनी ही सरकार को घेरते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की। खनिज घोटाले के मामले में प्रतिपक्ष कांग्रेस ने विधानसभा में हंगामा किया। सरकार के जवाब से नाखुश कांग्रेस ने विधानसभा से वाकआउट कर अपना विरोध भी जताया।
राज्य विधानसभा में शुक्रवार को प्रदेश का खान घोटाला प्रश्नकाल में उठा। इस मामले में भाजपा के ही वरिष्ठ विधायक तिवाड़ी ने अपनी ही सरकार के प्रति तीखे तेवर अपनाए। कांग्रेस ने इस मामले में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बचाने का आरोप लगाया। इस पर सदन में दोनों पक्षों के बीच तीखी झड़पें भी हुईं। कांग्रेस ने भी इस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने पर जोर दिया।

भाजपा के तिवाड़ी ने इस मामले में एक बार फिर अपनी ही सरकार को मुसीबत में डाल दिया। उनके सवाल पर सरकार पूरी तरह से घिरी हुई नजर आई। तिवाड़ी ने इस घोटाले की तुलना केंद्र में हुए कोल घोटाले से करते हुए कहा कि इसकी जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के जज से कराई जाए। उनका कहना था कि सरकार कह रही है कि इसकी जांच लोकायुक्त से कराई जा रही है, जो दंतविहीन संस्था है। इस संस्था ने आज तक जितने भी मामलों की जांच की है उसमें किसी को भी सजा नहीं हुई है। सरकार ने संस्था को जो पत्र सौंपा है उसमें उससे सिर्फ सुझाव देने को कहा गया है।
विधानसभा में इस मामले में दोनों पक्षों के हंगामे से शोरगुल का माहौल हो गया। कांग्रेस के गोविंद सिंह डोटासरा और अन्य सदस्यों का कहना था कि मुख्यमंत्री को बचाने के लिए तथ्यों को दबाया जा रहा है। डोटासरा का आरोप था कि यह प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला है, इस पर यहां चर्चा होनी चाहिए। इसमें दोषी मंत्री और अफसरों को बचाया जा रहा है। कांग्रेस का आरोप था कि खान आवंटन में पूरी तरह से बंदरबाट की गई है। प्रदेश का खान घोटाला 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है।

खनिज राज्य मंत्री राजकुमार रिणवा ने अपने जवाब में कहा कि मामले की जानकारी मिलने पर सरकार ने इसकी जांच लोकायुक्त से कराने का फैसला किया। लोकायुक्त को सौंपने से पहले सरकार ने इस मामले में सीएजी से भी राय ली थी। इससे पहले सरकार ने आइएएस अफसर के नेतृत्व में पांच सदस्यों की समिति से इसकी जांच कराई थी और गड़बड़ी मिलने पर ही इसे लोकायुक्त को सौंपा गया। रिणवा ने बताया कि खान घोटाले में अधिकारियों की गिरफतारी तो नहीं हुई लेकिन अन्य मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई है। रिणवा का कहना था कि लोकायुक्त एक स्वतंत्र संस्था है और उस पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है।

प्रतिपक्ष के शोरशराबे के बीच ही संसदीयकार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सरकार की जानकारी में आते ही इस प्रकरण की जांच कराई गई और इसकी पहल स्वयं मुख्यमंत्री ने की। उन्होंने कहा कि सरकार की इच्छाशक्ति का नतीजा है कि इस प्रकरण में प्रमुख शासन सचिव स्तर का आइएएस अफसर अभी जेल में है। गौरतलब है कि ढाई करोड़ रुपए की घूस कांड में आइएएस अफसर अशोक सिंघवी समेत आठ अधिकारियों, दलालों और खदान मालिकों को गिरफ्तार किया गया था।