आर्थिक मोर्चे पर चौतरफा आलोचना झेल रही नरेंद्र मोदी सरकार के लिए राहत भरी खबर है। साल 2017-18 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 6.3 प्रतिशत रही। यह आंकड़े जुलाई से सितंबर का है। पहली तिमाही में यह दर 5.7 प्रतिशत थी, जो लगभग तीन साल का सबसे निचला स्तर था। एक जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद जीडीपी विकास दर की यह पहली तस्वीर है। इससे पता चलता है कि जीएसटी के सकारात्मक नतीजे आने शुरू हो गए हैं और आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था की हालत और सुधर सकती है। इसके अलावा यह भी दिख रहा है कि नोटबंदी का असर अब खत्म हो गया है और कंपनियां निवेश करने आ रही हैं, जिससे विकास के अलावा रोजगार में भी इजाफा देखने को मिल सकता है।
मुख्य सांख्यिकीविद् टीसीए अनंत ने कहा कि पांच तिमाहियों में गिरावट के बाद जीडीपी में तेजी दिखी है, जो काफी सकारात्मक है। उनके मुताबिक सबसे ज्यादा 7 प्रतिशत उछाल मैन्युफैक्चरिंग में रहा। इलेक्ट्रिसिटी, गैस एंड वाटर सप्लाई की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत और ट्रेड हॉस्टल, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन 9.9 प्रतिशत की तेजी से बढ़े। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि सेल टैक्स के मुद्दे बहुत ज्यादा समय तक नहीं रहेंगे। हालांकि कंस्ट्रक्शन में गिरावट का दौर जारी है।
Gross Domestic Product at constant (2011-12) prices in Q2 of 2017-18 is estimated at Rs 31.66 lakh crore, as against Rs 29.79 lakh crore in Q2 of 2016-17, showing a growth rate of 6.3% pic.twitter.com/YD73kF4NfC
— ANI (@ANI) November 30, 2017
वहीं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने आज दूसरी तिमाही की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बढ़ने का स्वागत किया और साथ ही यह भी कहा कि गिरावट वाले रुख पर विराम लगा है, लेकिन किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अगली तीन-चार तिमाही के आंकड़ों का इंतजार किया जाना चाहिए। चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘खुश हूं कि जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.3 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की गई है। यह पिछली पांच तिमाहियों से आ रहे गिरावट के रुख पर विराम है।’’ पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी कहा, ‘‘6.3 प्रतिशत मोदी सरकार के वादे से बहुत कम है और सुव्यवस्थित भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावना से काफी नीचे है।’’

