दुनिया की बड़ी आईटी कंपनियों में शामिल इन्फोसिस आज रूस में अपने व्यापार बंद करने को लेकर सुर्ख़ियों में है। इन्फोसिस के पास आज दुनियाभर में 3.10 लाख से अधिक कर्मचारी है। वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी की आय करीब 16 बिलियन डॉलर रही है।

6 दोस्तों के साथ मिलकर शुरू की कंपनी:इस आईटी दिग्गज की स्थापना वर्ष 1981 में पुणे में नारायण मूर्ति ने अपने 6 दोस्तों के साथ मिलकर की थी। इन दोस्तों में नंदन नीलेकणि, एसडी शिबुलाल, क्रिस गोपालकृष्णन, अशोक अरोड़ा, एनएस राघवन और के दिनेश का नाम शामिल है। ये सभी देश पेशे से इंजीनियर थे और एक ही कंपनी पाटनी कंप्यूटर सिस्टम में काम करते थे। हैरानी की बात हो ये है कि इस कंपनी की स्थापना के लिए नारायण मूर्ति ने शुरूआती पूंजी 10 हजार रुपए अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से उधार लिए थे। कंपनी ने अपना पहला ऑफिस भी मूर्ति के घर पर स्थित पहले कमरे में खोला था। वहीं, ये बात आपको चौका देगी कि नारायण मूर्ति नहीं बल्कि एनएस राघवन इन्फोसिस के पहले कर्मचारी थे।

पहले कंप्यूटर के लिए किया 3 साल का इंतजार:1980 में भारत में आज तरह व्यापार करना इतना आसान नहीं था। लाइसेंस राज का दौर था बिना सरकार की इजाजत की कुछ भी करना नामुमकिन था। मूर्ति ने एक इंटरव्यू में कहा था कि “1980 में व्यापार करना मुश्किल था। अफसरशाही के कारण सभी काम धीरे होते थे। हमे इन्फोसिस के लिए टेलीफोन कनेक्शन लेने के एक साल और पहला कंप्यूटर इम्पोर्ट करने के लिए लाइसेंस का  तीन साल तक इंतजार करना पड़ा था।”

मूर्ति ने मुश्किल हालातों में कंपनी को संभाला:1989 में केएसए के साथ करार टूटने के बाद इन्फोसिस के भविष्य पर संकट के खड़ा हो गया, जिसके बाद कंपनी के संथापक सदस्यों में से एक अशोक अरोरा ने कंपनी को छोड़ दिया था। फिर मूर्ति ने इन्फोसिस की कमान संभाली और पूरी कहानी को पलट कर रख दिया।

1993 में आया आईपीओ: इन्फोसिस भारतीय शेयर बाजार में 1993 में लिस्ट हुई। उस दौरान कंपनी का आईपीओ भी अंडरसब्सक्राइब हुआ था। लेकिन पिछले 29 सालों में कंपनी का शेयर निवेशकों की उम्मीदों पर खरा उतरा है। यदि किसी निवेशक ने आईपीओ के समय 9500 रुपए लगाए होते तो आज उसका निवेश करीब 18 करोड़ रुपए का हो चुका होता।

1999 में इन्फोसिस की आय करीब 100 मिलियन डॉलर को पार कर गयी थी। इसी साल कंपनी ने अमेरिका में लिस्ट होने वाली पहली भारतीय आईटी की उपलब्धि हासिल की थी।