भारत पेट्रोलियम की हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख सरकार ने अब 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय ने देश की दिग्गज ऑयल रिफाइनर कंपनी भारत पेट्रोलियम में हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली जमा करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई तय की थी। वित्त मंत्रालय का कहना है कि उसने हिस्सेदारी खरीदने की इच्छुक पार्टियों के लिए बोली जमा करने की डेडलाइन को बढ़ा दिया है। मई के बाद से यह दूसरा मौका है, जब तारीख को बढ़ाया गया है। वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा रखने वाली कंपनियों ने बोली जमा करने की आखिरी तारीख को बढ़ाने का आग्रह किया था। इसके अलावा कोरोना संकट से पैदा हुए हालातों को भी ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।

सरकार भारत पेट्रोलियम में 52.98 फीसदी की हिस्सेदारी बेचना चाहती है। सरकार का मानना है कि इसके जरिए कोरोना काल में उसे अतिरिक्त रकम हासिल होगी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले दिनों कहा था कि कई विदेशी कंपनियां भारत पेट्रोलियम में हिस्सेदारी लेने की इच्छुक हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको और अमेरिकी कंपनी Exxon Mobil ने हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि सऊदी अरामको, अबू धाबी नेशनल ऑइल कंपनी, रूस की रोजनेफ्ट और अमेरिका की कंपनी Exxon Mobil बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है। ये सभी कंपनियां बीपीसीएल की हिस्सेदारी की नीलामी में हिस्सा ले सकती हैं। हालांकि भारत की कंपनियां भी इस मामले में पीछे नहीं है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड भी बोली में हिस्सा ले सकती है।

कंपनी के निजीकरण को लेकर सरकारी की तैयारी किस स्तर की है, इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि निजी मैनेजमेंट के साथ काम करने के इच्छुक कर्मचारियों को उसने वीआरएस का ऑफर दिया है। बीपीसीएल ने अपने कर्मचारियों को भेजे आंतरिक नोटिस में कहा कि कंपनी ने वीआरएस की पेशकश करने का फैसला किया है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए है जो विभिन्न व्यक्तिगत कारणों से कंपनी में सेवाएं जारी रखने की स्थिति में नहीं हैं। वे कर्मचारी वीआरएस के लिए आवेदन कर सकते हैं। भारत पेट्रोलियम वीआरएस योजना-2020 (बीपीवीआरएस-2020) 23 जुलाई को खुली है। यह 13 अगस्त को बंद होगी।