सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने रोजगार के अवसर बढ़ाने में लघु उद्योगों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुये आज कहा कि छोटे उद्योगों के प्रति बैंकों की मानसिकता बदलने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रालय इस बारे में गंभीरता से विचार करेगा कि अपना खुद का छोटा मोटा व्यवसाय शुरू करने वालों के लिये वित्तपोषण, विपणन और विनिर्माण सभी सुविधाओं को कैसे आपस में जोड़ा जा सकता है, ताकि देश में नये उद्यमी आसानी से अपना काम शुरू कर सकें।’’

सिंह आज यहां भारतीय लघु उद्योग विकास निगम (एनएसआईसी) के ओखला स्थित ‘इंक्यूबेटर केन्द्र’ का दौरा करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर स्पष्ट कहा कि लघु उद्योगों के प्रति बैंकों की मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। सरकार चाहती है कि ऐसी सुविधा बने जिसमें एक ही छत के नीचे छोटे उद्यमियों को वित्तपोषण भी उपलब्ध हो और विपणन के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो।

सिंह ने एनएसआईसी के इंक्यूबेटर केन्द्र का दौरा करते हुये विभिन्न क्षेत्रों में उद्यम का प्रशिक्षण ले रहे युवक-युवतियों से भी बातचीत की। सरसों से तेल निकालने की मशीन हो या फिर साबुन बनाने की मशीन अथवा मैकेनिकल इंजीनियरिंग का प्रशिक्षण ले रहे छात्र — उनका प्रतिस्पर्धा पर अधिक जोर रहा। वह अधिकारियों से मशीनों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रतिस्पर्धी बनाने पर जोर दे रहे थे।

सिंह ने कहा, ‘‘आज अधिक संख्या में युवा भारत में हैं। कुल जनसंख्या में उनकी आबादी 35 प्रतिशत तक पहुंच गई है। ऐसे में देश में 100 प्रतिशत रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण केन्द्र बनाने की नितांत आवश्यकता है।’’

उन्होंने ऐसे केन्द्र देश के दूसरे हिस्सों विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश में बनाने पर भी जोर दिया। इस अवसर पर संयुक्त सचिव एमएसएमई एस.एन. त्रिपाठी और एनएसआईसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रविन्द्र नाथ भी उनके साथ थे।