एटीएम से लेन-देन करने और चेक व कार्ड्स सरीखी सेवाओं पर बैंक जल्द ही खाता धारकों से शुल्क वसूलेंगे। आयकर विभाग ने इस संबंध में देश के प्रमुख बैंकों को उन सेवाओं पर टैक्स चुकाने के लिए कहा है, जो वे अपने उपभोक्ताओं को न्यूनतम राशि रखने के दौरान मुफ्त में मुहैया कराते हैं। विभाग ने जिन बैंकों को यह आदेश दिया है, उनमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैक के नाम शामिल हैं।
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलिजेंस (डीजीजीएसटी) ने इस बाबत शो कॉज नोटिस भी जारी किया है, जो आने वाले समय में अन्य बैंकों पर भी लागू होगा। आयकर विभाग के आदेशानुसार बैंकों पर बीते पांच सालों का टैक्स लागू होगा। ‘इकनॉमिक टाइम्स’ के मुताबिक, बैंक खातों में न्यूनतम राशि न रखने वाले उपभोक्ताओं से वसूली जाने वाली रकम पर भी टैक्स के रूप में वसूली जाएगी। ऐसे में बैंकों के सिर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। नोटिस पाने वाले बैंक फिलहाल यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर वे टैक्स की रकम कैसे अदा करेंगे।
जानकारों का मानना है कि अगर यह टैक्स लागू किया गया तो इसका सीधा-सीधा असर बैंक उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। हालांकि, बैंक इस मामले में डीजीजीएसटी के दावे को चुनौती भी दे सकते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि कुछ नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जबकि कुछ अभी होने हैं। फिलहाल इन बैंकों में से किसी ने भी अभी तक ई-मेल का जवाब नहीं दिया है।
बैंकों पर तकरीबन छह हजार करोड़ रुपए के आसपास की टैक्स की देनदारी बनती है। मगर बैंकों को आशंका है कि यह रकम और भी बढ़ सकती है। ऐसे में डीजीजीएसटी बैकों की ओर से उपभोक्ताओं को मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं की जांच-पड़ताल कर रहा रही है। पीडब्ल्यूसी में इनडायरेक्ट टैक्स लीडर प्रतीक जैन ने बताया कि अगर बैकों को पिछले कुछ सालों का भी सर्विस टैक्स चुकाना पड़ा तब उपभोक्ताओं पर भी उस स्थिति की मार पड़ेगी।

