एक तरफ राजनीतिक दल किसानों को कृषि लोन देने की बात करे रहे हैं तो दूसरी तरफ बैंक बढ़ते वित्तीय घाटे की वजह से कृषि लोन पर नियंत्रण कर रहे हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) कृषि लोन की वजह से बदहाल हो चुका है। बैंक को एक ही साल में 4,784 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। जबकि पिछले साल बैंक को 1146 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। बैंक ने बढ़ते कृषि एनपीए को इसकी मुख्य वजह माना है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घाटे पर नियंत्रण लाने के लिए बीओएम महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ जोन में कृषि लोन के विस्तार पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है। इनमें सूखा प्रभावित औरंगाबाद, लाथूर, अकोला और अमरावती, सोलापुर, जलगांव और जबलपुर शामिल हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि बैंक इन इलाकों में अब लोन देने से बचेगा। बीओएम ने कहा है कि कृषि क्षेत्र की वर्तमान स्थिति दयनीय है और एनपीए में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। इन 8 जोन में देखा गया है कि यहां पर कृषि एनपीए का प्रतिशत उच्चतम स्तर पर है। ऐसे में यहां पर एनपीए को नियंत्रण में लाना जरूरी हो गया है।

वहीं आधिकारिक बयान में यह भी जानकारी दी गई कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की गाइडलाइन के मुताबिक इस साल 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष तक लोन और एडवांस के रूप में बैंक के साथ 1448 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई।

चौथी तिमाही में बैंक को लाभ

हालांकि बैंक के लिए चौथी तिमाही के नतीजे कुछ राहत भरे भी रहे हैं। वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में बीओएम को 72.38 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में 114 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। पिछले साल चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बीओएम का शुद्ध घाटा सात गुना बढ़कर 3764.26 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।