राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में डीजल से चलने वाले दस साल पुराने वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के अपने आदेश पर रोक की अवधि सोमवार को 25 मई तक बढ़ा दी।
हरित न्यायाधिकरण ने केंद्र की भी खिंचाई की जिसने उसके प्रतिबंध के आदेश पर इस आधार पर रोक लगाने की मांग की थी कि आइआइटी दिल्ली के एक अनुसंधान अध्ययन में कहा गया है कि 10 साल पुराने वाहनों से सिर्फ ‘उपेक्षणीय’ वायु प्रदूषण उत्पन्न होता है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अगुआई वाले पीठ ने ऐसी रिपोर्ट सौंपे जाने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय और आइआइटी दिल्ली पर नाराजगी जाहिर की है जिसमें समुचित अनुसंधान का अभाव है। पीठ ने राजधानी में वायु प्रदूषण पर रोक के लिए एक ‘व्यापक’ और ‘तर्कसंगत’ रिपोर्ट मांगी है।
पीठ ने कहा ‘इस रिपोर्ट का आधार क्या है। इस पर टिप्पणी करने का आइआइटी का कोई काम नहीं है। यह रिपोर्ट पर्याप्त रूप से समग्र नहीं है। उन्होंने किसी जगह से नमूने नहीं लिए।’ पीठ ने कहा ‘आइआइटी बेहतर काम कर सकता था। आपने कोई अध्ययन किए बिना 100 पन्ने रख दिए। सिर्फ इसलिए कि, आप आइआइटी हैं, आप हमेशा सही नहीं हो सकते।’
न्यायाधिकरण ने कहा कि आइआइटी के अध्ययन में केवल निजी वाहनों का संदर्भ है लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रकों सहित वाणिज्यिक वाहनों से होने वाले प्रदूषण के बारे में इसमें कुछ नहीं कहा गया है।
पीठ ने कहा कि चलते हुए या खड़े हुए सभी तरह के वाहनों को ध्यान में रखते हुए मूल आंकड़े को सुधारना होगा। ‘आपने अनुसंधान से किसी को भी संबद्ध नहीं किया और पुराने आंकड़ों पर ही भरोसा किया।’ न्यायाधिकरण ने कहा ‘हमें यह बताने की कोशिश मत कीजिए कि हमारा आदेश गलत है। पूरी आइआइटी रिपोर्ट यह साबित करने का प्रयास है कि प्रतिबंध का आदेश खराब है। जो आप कह रहे हैं, उसके पीछे समुचित कारण होने चाहिए।’
हरित निकाय ने सड़क परिवहन मंत्रालय को वाहनों की कुल संख्या, पुराने वाहनों को हटाए जाने, कार पूलिंग और पुराने वाहन हटाने के इच्छुक लोगों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन के बारे में अपने विचार पेश करने का आदेश भी दिया। मंत्रालय ने ‘सड़क उत्सर्जन विश्लेषण के लिए दिल्ली में यात्रा और वाहन’ विषय पर आइआइटी दिल्ली के चार प्रोफेसरों की ओर से लिखे गए एक लेख का जिक्र करते हुए कहा था कि दिल्ली, एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण में योगदान के लिए ‘आयु’ को मुख्य कारक नहीं समझा जा सकता।