दिल्ली सरकार की अपील पर विचार करते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को जब्त करने के अपने आदेश को सोमवार को दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद से ट्रांसपोर्टरों ने सोमवार आधी रात से प्रस्तावित हड़ताल स्थगित कर दी।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा कि दो हफ्ते तक वाहनों को जब्त नहीं किया जाएगा। हम यह स्पष्ट करते हैं कि हम अपने आदेश में केवल दो हफ्ते के लिए बदलाव कर रहे हैं। इसने दिल्ली सरकार से इस बारे में सलाह देने को भी कहा कि वह बताए कि जो लोग अपने प्रदूषणकारी डीजल वाहनों को दूसरी जगह भेज रहे हैं या खत्म कर रहे हैं, उन्हें क्या प्रोत्साहन राशि दी जानी चाहिए और राजधानी में पंजीकृत होने वाले ऐसे वाहनों की संख्या क्या होनी चाहिए। हरित पीठ ने पार्किंग शुल्क तर्कसंगत बनाने को भी कहा जिससे कि लोग अपने वाहन पार्किंग में खड़े करने को प्रोत्साहित हों और सड़कों पर वाहन खड़े न करें।
दिल्ली सरकार की ओर से मामले को अधिवक्ता जुबेदा बेगम ने अधिकरण के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि सरकार प्रतिबंध के आदेश को क्रियान्वित करने में असल में बहुत मुश्किल का सामना कर रही है। आदेश लागू करने के लिए और समय मांगते हुए उन्होंने तर्क दिया कि आदेश के चलते सब्जी आपूर्ति और कचरा ढोने वाले ट्रक इत्यादि जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। हरित अधिकरण ने दिल्ली सरकार और अन्य सरकारी विभागों को वैज्ञानिक रूप से समर्थित विचार सुनवाई की अगली तारीख एक मई को रखने को कहा।
एनजीटी की ओर से दो हफ्ते का समय दिए जाने के बाद ट्रक यूनियनों ने सोमवार रात से प्रस्तावित अपनी हड़ताल स्थगित कर दी। दिल्ली मोटर ट्रक आॅनर एसोशिएशन (डीएमटीओयू) और आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि वे हड़ताल स्थगित कर रहे हैं, आंदोलन नहीं। इससे पहले इस संबंध में दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय ने एक बैठक ली और कहा कि इस मुद्दे पर वे केंद्रीय परिवहन मंत्री नीतिन गडकड़ी से मिल कर बात रखेंगे।
न्याधिकरण के ताजा फैसले के बाद डीएमटीओयू के प्रधान कुलवीर सिंह भंडारी और महासचिव सरदार त्रिलोक सिंह के अलावा एआइएमटीसी के अध्यक्ष भीम बधवा ने कहा कि वे सरकार से इस मामले का पूर्ण समाधान चाहते हैं। कुलवीर सिंह भंडारी ने कहा कि ‘फिटनेस के पैमाने’ पर पर्यावरण को नियंत्रण किया जाए न कि ‘एज आफ विकल’ (10 साल) पर।
उन्होंने कहा कि सरकार मुआवजा दिए बिना इस आदेश को लागू न करें और समस्या का स्थायी समाधान निकाले। विवाद पर दिल्ली सरकार की पहल को ट्रक यूनियनों ने ठीक बताया है। सरदार त्रिलोक सिंह ने कहा कि सरकार एनजीटी को बताए कि न्यायाधिकरण का आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जा रहा है। क्योंकि ‘एमसी मेहता बनाम यूनियन आफ इंडिया’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 15 साल तक की समय सीमा तय की थी।
एनजीटी के आदेश के बाद ट्रांसपोर्टरों ने सोमवार आधी रात के बाद हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। ट्रक आपरेटरों ने हड़ताल से दिल्ली के लोगों को होने वाली परेशानियों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। उन्होंने आपरेटरों की परेशानी को एनजीटी के सामने रखने का आश्वासन दिया था।
दिल्ली में डीजल को प्रदूषण का प्रमुख स्रोत बताते हुए एनजीटी ने सात अप्रैल को व्यवस्था दी थी कि 10 साल से पुराने सभी डीजल वाहनों को दिल्ली में चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
(इनपुट भाषा से)