सरकारी बैंकों के डूबते कर्ज (एनपीए) के अस्वीकार्य स्तर पर पहुंचने के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि इरादतन कर्ज नहीं चुकाने वालों से निपटने का बैंकों के पास पूरा अधिकार और स्वायत्तता है। उन्होंने कहा कि सरकारी कंपनियों में विनिवेश बाजार के हालात सुधरने के बाद किया जाएगा। बैंकों की दूसरी तिमाही समीक्षा के दौरान जेटली ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य और अन्य सरकारी बैंकों के प्रमुखों व रिजर्व बैंक के अधिकारियों के साथ डूबते कर्ज के मुद्दे पर गहन विचार विमर्श किया। बैठक में इस्पात सहित अन्य क्षेत्रों के एनपीए, कर्ज के उठाव, बैंकों की वित्तीय सेहत और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की स्थिति पर चर्चा हुई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का ऐसा कर्ज जून के अंत तक बढ़ कर 6.03 फीसद हो गया, जो इस साल मार्च तक 5.20 फीसद पर था।
बैठक के बाद जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि जब हम उन क्षेत्रों की बात करते हैं जहां एनपीए काफी ऊंचा है, तब कुछ समान डिफाल्टर चर्चा के केंद्र में आते हैं। बैंकों के पास डिफाल्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरा अधिकार और स्वायत्तता है। उनसे उद्योगपति विजय माल्या को इरादतन डिफाल्टर घोषित करने के बारे में पूछा गया था। एसबीआइ ने ठप पड़ी किंगफिशर एअरलाइंस पर बकाया 7000 करोड़ रुपए के मामले में माल्या को इरादतन डिफाल्टर घोषित किया है।
जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक ने बैंकों को फंसे कर्ज की समस्या से निपटने का अधिकार दिया है। इसके अलावा एक दिवालिया कानून भी बन रहा है जिससे इस समस्या से निपटने में काफी हद तक मदद मिलेगी। यह सभी उन कदमों का हिस्सा हैं जिनके तहत बैंकों को लगातार सशक्त किया जा रहा है, जिससे वे प्रभावी बैंकिंग को आगे बढ़ा सकें। वैश्विक सुस्ती की वजह से इस्पात और एल्युमीनियम क्षेत्रों के समक्ष आ रही दिक्कतों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवा विभाग के सचिव बैंकों और राजस्व विभाग के बीच लगातार समन्वय कर रहे हैं, जिससे यह पता लग सके कि आगे और किन नीतिगत कदमों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के मुद्दे सुलझ जाने और अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ बैंकों का ज्यादातर दबाव खत्म हो जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है। पीछे से चली आ रही समस्या कायम है और यह एनपीए के अस्वीकार्य स्तर से संबंधित है। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक इस तथ्य को जान रहे हैं कि उन्हें अपने कुछ विशेष श्रेणी के कर्जदारों के मुद्दों को खाता दर खाता आधार पर देखना है। जेटली ने इस बात का भरोसा जताया कि उचित समय में स्थिति बेहतर होगी। रिण के उठाव में वृद्धि तथा एनपीए की वसूली से मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा रिजर्व बैंक ने कई कदमों की घोषणा की है, जिन्हें कुछ बैंक क्रियान्वित कर रहे हैं। इससे निश्चित रूप से संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार होगा।
यह पूछे जाने पर कि कर्ज वृद्धि कब रफ्तार पकड़ेगी, मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुधर रही है। ऐसे में जैसे ही मांग रफ्तार पकड़ेगी, तो कर्ज का उठाव भी बढ़ेगा। राजमार्ग क्षेत्र अब पटरी पर आ गया है। बिजली क्षेत्र के लिए जिन सुधारों की घोषणा की गई है, उनसे बिजली वितरण कंपनियों का दबाव कम होगा। बैठक में कृषि क्षेत्र, आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन, शिक्षा कर्ज, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण विकास तथा कपड़ा क्षेत्र पर भी विचार विमर्श हुआ। इसके अलावा प्रधानमंत्री जनधन योजना की प्रगति, सरकार की बीमा क्षेत्र योजनाओं, पेंशन योजना और मुद्रा योजना पर भी चर्चा हुई। वित्त मंत्री कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ कंपनियों में उसके शेयरों की प्रस्तावित बिक्री बाजार के हालत सुधरने के बाद की जाएगी। ऐसी कंपनियों में खास कर धातु क्षेत्र की कंपनियां प्रमुख हैं। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जबकि आशंका जताई जा रही है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में 69,500 करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगी।