खाद्य तेल निर्माता कंपनी रुचि सोया इंडस्ट्रीज को खरीदने में बाबा रामदेव प्रमोटेड पतंजलि आयुर्वेद खासी दिलचस्पी ले रही है। कर्ज में डूबी रुचि सोया के लिए नीलामी में अडानी विलमर ने बाजी मार ली थी, मगर पतंजलि अभी रेस से बाहर नहीं हुई है। इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी विलमर ने खरीद प्रक्रिया में देरी होने का हवाला देते हुए अपना ऑफर वापस लेने का फैसला किया है। दूसरी सबसे बड़ी बोली लगाने वाली पतंजलि ने अब रुचि सोया के ऋणदाताओं को जानकारी दी है वह अभी भी सौदा पूरा करने की इच्छुक है। पतंजलि ने कहा कि अगर अनुमति दी गई तो वह अडानी जितनी रकम भी चुका सकती है।
अडानी ने 5,474 करोड़ रुपये में रुचि सोया को खरीदने का ऑफर दिया था, जिसमें से 4,300 करोड़ रुपये बैंकों को दिए जाने थे। पतंजलि ने 5,765 करोड़ रुपये का ऑफर दिया, जिसमें से 4,065 करोड़ रुपये ऋणदाताओं को चुकाने थे। समग्र रूप से पतंजलि का ऑफर ज्यादा होने के बावजूद, अडानी का ऑफर इसलिए बड़ा माना गया क्योंकि मूल्यांकन मैट्रिक्स के अनुसार, कंपनी चलाने के लिए पैसा लगाने के मुकाबले कर्ज का भुगतान अधिक महत्व रखता है।
पतंजलि के सह-संस्थापक रामदेव चाहते हैं वह भारत के एफएमसीजी बाजार पर प्रभुत्व स्थापित करें। पिछले साल अप्रैल में रामदेव ने कहा था कि अगले तीन से पांच साल में पतंजलि का लक्ष्य 20 से 25 हजार करोड़ रुपये टर्नओवर हासिल करने का है। पिछले वित्त वर्ष में कंपनी कोई राजस्व में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हासिल कर पाई थी। वित्तीय सेवाएं देने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी क्रेडिट सुइस के अनुसार, पतंजलि के सामने सामान्य व्यापार वितरण बड़ी चुनौती है।
आयुर्वेद से इतर अन्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उतरने से कंपनी की आयुर्वेदिक साख धुंधली हुई है। ईटी प्राइम के अनुसार, रामदेव का 20 हजार करोड़ रुपये टर्नओवर का सपना पतंजलि के कारोबार की सबसे मजबूत कड़ी- उसके डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को ही नुकसान पहुंचा रहा है। इन परिस्थितियों में रुचि सोया की खरीद पतंजलि को बड़ी राहत दे सकती है। 3.72 मीट्रिक टन उत्पादन के साथ, रुचि सोया के पास भारत की सबसे बड़ी तेल निष्कर्षण यूनिट है। कंपनी के पास 24 प्लांट्स हैं। रुचि सोया के पास न्यूटेला, महाकोश, सनरिच, रुचि गोल्ड और रुचि स्टार जैसे नामी उत्पाद हैं। यह वैल्यू-एडेड सोया उत्पादों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।
पतंजलि ने पिछले साल मार्च में, रुचि सोया संग खाद्य तेलों की रिफाइनिंग, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग को लेकर करार किया था। कुछ महीनों बाद, पतंजलि खाद्य तेलों के बड़े पैक्स की संपूर्ण रेंज की सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए रुचि सोया के साथ एक और सौदा हुआ। डिब्बाबंद खाद्य तेल सेगमेंट में अडानी का 19 फीसदी हिस्सा है जबकि करीब 14 प्रतिशत पर रुचि सोया का कब्जा है। इस सेगमेंट में अभी और उछाल होने की उम्मीद है।
भारत में वेजिटेबल ऑयल की खपत बढ़ रही है। ऐसे में अगर रुचि सोया को खरीदने में पतंजलि सफल रहती है तो वह खाद्य तेलों के बाजार पर एकाधिकार स्थापित करने में सक्षम हो जाएगी। इसके अलावा 20 हजार करोड़ रुपये टर्नओवर का रामदेव का सपना भी साकार होने की उम्मीद बढ़ जाएगी।