Baba Ramdev, Patanjali Misleading Ads Case, Supreme Court Hearing: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण करीब एक महीने से सुप्रीम कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर IMA की याचिका पर आज फिर सुनवाई हुई। इस दौरान योग गुरु रामदेव और पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण कोर्ट में मौजूद रहे। इस दौरान कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अगली सुनवाई के लिए पेशी से छूट दे दी है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने माफीनामे वाले अखबार का पूरा पेज रिकॉर्ड पर ना रखने को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने रिकॉर्ड पूरा करने का मौका भी दिया है। साथ ही उत्तराखंड सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।

बता दें कि इससे पहले 23 अप्रैल को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अखबार में दिए गए सार्वजनिक माफीनामे को खारिज कर दिया था। और पूछा था कि क्या माफीनामा उसी साइज़ में छापा गया, जिस साइज़ में विज्ञापन छपा था। सोमवार (29 अप्रैल) को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने रद्द कर दिया था।

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यहां पढ़ें कोर्ट में क्या-कुछ हुआ?

रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी: हमनें जो माफीनामा पेपर में दिया था उसे रजिस्ट्री में हमने जमा कर दिया था। मुकुल ने उस माफीनामे अदालत में दिखाया, जो पेपर में छपा था।

SC ने पूछा आपने ओरिजनल रिकॉर्ड क्यों नही दिए? आपने ई फाइलिंग क्यों की?

SC ने कहा कि बहुत ज्यादा कम्युनिकेशन की कमी है, हम अपने हाथ खड़े कर रहे हैं। आपके वकील बहुत ज्यादा स्मार्ट हैं। ऐसा जानबूझकर किया गया है।

जस्टिस अमानतुल्लाह: मिस्टर बलबीर ने स्पष्टीकरण मांगा था। फिर कहा था कि ओरिजिनल दस्तावेज फाइल किया जाएगा। पूरा न्यूज पेपर फाइल किया जाना था।

वकील बलबीर सिंह, रामदेव की तरफ से कहा कि हो सकता है, मेरी अज्ञानता की वजह से ऐसा हुआ हो।

SC ने कहा पिछली बार जो माफीनामा छापा गया था वो छोटा था और उसमें पतंजलि केवल लिखा था। लेकिन दूसरा बड़ा है, उसके लिए हम प्रशंसा करते हैं कि उनको बात समझ में आई।

SC: आप केवल न्यूज पेपर और उस दिन की तारीख का माफीनामा जमा करें।

IMA के अध्यक्ष का बयान मुकुल ने अदालत को बताया को कहा कि उन्होंने क्या कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि IMA के अध्यक्ष का बयान रिकॉर्ड पर लाया जाए। यह बेहद गंभीर मामला है। इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाए।

अगली सुनवाई में रामदेव और बालकृष्ण के पेशी से छूट मांगी। अदालत ने कहा ठीक है- केवल अगली सुनवाई के लिए

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अगली सुनवाई के दौरान पेशी से छूट दी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया केवल अगली सुनवाई के लिए पेशी से छूट दी गयी है।

क्या कहा था IMA अध्यक्ष RV अशोकन ने?

IMA के अध्यक्ष अशोकन ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा था कि ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है। हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है। शायद उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि मामला ये था ही नहीं, जो कोर्ट में उनके सामने रखा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा– आपने जो पतंजलि 14 दवाओं के उत्पादन को निलंबित किया है वो कब तक है।

आयुष विभाग: उन्हे संबधित विभाग के पास 3 महीने के भीतर अपील दाखिल करनी होगी।
SC: आपको ये सब पहले ही करना चाहिए था।
SC ने ज्वाइंट डायरेक्टर, मिथलेश कुमार से पूछा पिछले 9 महीनों में आपने क्या करवाई की है?

SC: आप ये बताओ कि पिछले 9 महीने में क्या करवाई हुई। हलफनामा दायर कर बतांए। अगर पिछले हलफनामे पर जाए तो आपने कोई करवाई नहीं की? आप बाद में मत कहिएगा कि आपको मौका नहीं दिया।

SC: ने मिथलेश कुमार को जमकर फटकार लगाई।

SC: पिछले मामले के बारे में बताइए, मिथलेश कुमार से पहले थे?

SC ने फिर लाइसेंस ऑथॉरिटी को फटकार लगाई। कहा ऐसा लग रहा है कि वो केवल पोस्ट ऑफिस की तरह से काम कर रहे हैं।

SC की टिप्पणी- उत्तराखंड आयुष विभाग के लाइसेंसिंग ऑथोरिटी के हलफनामे को 1 लाख के जुर्माने के साथ खारिज कर देंगे, ये लापरवाही से भरा हुआ हलफनामा है। अभी केवल टिप्पणी की जुर्माना नही लगाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पिछले 10 से 12 दिनों में करवाई हुई उन्ही शिकायतों पर जो पहले दाखिल हुई थी। सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी पिछले 6 सालों में क्या हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को माफीनामे के ओरिजनल न्यूज पेपर दाखिल को कहा। कोर्ट ने रजिस्ट्री को कहा कि इसे स्वीकार करें।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा उत्तराखंड आयुष विभाग के लाइसेंसिंग विभाग ने कुछ पांच हलफनामे दाखिल हुए है। मिथलेश कुमार, गिरीश, स्वास्तिक सुरेश, राजीव कुमार वर्मा और विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दाखिल हुए है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम हलफनामे से संतुष्ट नहीं है। विभाग ने 10 अप्रैल के बाद करवाई की है। विभाग की तरफ से 10 दिनों में नया हलफनामा दाखिल करने की मांग को अनुमति देते है। 14 मई को मामले की सुनवाई करेंगे।