योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण अपनी लोप्रोफाइल और शांत छवि के लिए जाने जाते हैं। अकसर कम बोलने वाले और पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले आचार्य बालकृष्ण ने ट्विटर पर अपनी बचपन की एक तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर में बालकृष्ण जनेऊ धारण किए हुए नजर आ रहे हैं और नीचे धोती लपेटे हुए हैं। तस्वीर में बेहद साधारण बालक नजर आ रहे आचार्य़ बालकृष्ण ने एक कैप्शन भी लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन में गुरुकुलों और ऋषि परंपरा के महत्व के बारे में बताया है। आचार्य बालकृष्ण ने लिखा, ‘एक अबोध निश्चल बाल मन में संस्कार व शिक्षा से जिन गुरुकुलों ने धर्म के सिद्धांत से लेकर जीवन के संघर्ष को सिखाया, उस ऋषि परंपरा को प्रणाम।
फिलहाल 1.3 अरब डॉलर की दौलत के मालिक और दुनिया के 2000 सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल आचार्य बालकृष्ण ने गुरुकुल से ही शिक्षा हासिल की है। पहली बार योग गुरु बाबा रामदेव से बालकृष्ण की मुलाकात हरियाणा के ही खानपुर गुरुकुल में हुई थी। इसके बाद वह उनके करीबी हो गए थे और 1995 में दोनों ने मिलकर दिव्य फार्मेसी के नाम से कंपनी की स्थापना की थी। यही नहीं आगे चलकर 2006 में दोनों ने मिलकर पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की, जो आज पतंजलि समूह की मुख्य कंपनी है।
नेपाली मूल के माता-पिता की संतान आचार्य बालकृष्ण बचपन में ही भारत में आ गए थे और गुरुकुलों में ही शिक्षा हासिल की थी। सूत्रों के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद में आचार्य बालकृष्ण की 98.5 फीसदी की हिस्सेदारी है। आचार्य बालकृष्ण का मूल नाम बालकृष्ण सुवेदी है। कहा जाता है कि आचार्य बालकृष्ण पतंजलि आयुर्वेद से कोई सैलरी नहीं लेते हैं। पतंजलि आयुर्वेद समूह की कंपनियों का नेतृत्व करने वाले बालकृष्ण मार्केटिंग से लेकर प्रचार तक की रणनीति तैयार करते हैं। पतंजलि के करीबी सूत्रों के मुताबिक खासतौर पर हर्बल प्रोडक्ट्स के मामले में आचार्य बालकृष्ण को अच्छी-खासी जानकारी है और वह खुद इन उत्पादों को तैयार करने की प्रक्रिया को देखते हैं।
पतंजलि के मुनाफे में हुआ 40 पर्सेंट का इजाफा: बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद के मुनाफे में फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में 39 पर्सेंट का इजाफा हुआ है। इसके अलावा रेवेन्यू भी 6 प्रतिशत बढ़ते हुए 9,024.2 करोड़ रुपये के लेवल पर पहुंच गया है। ब्रिकवर्क्स रेटिंग्स के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद को 485 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। यही नहीं वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च में लागू हुए लॉकडाउन के चलते जब दिग्गज कंपनियों को शीर्षासन करना पड़ गया, तब भी पतंजलि की ग्रोथ का सिलसिला जारी रहा है।