योग गुरु बाबा रामदेव की सफलता की कहानी की शुरुआत करीब दो दशक पहले से होती है। देश में टेलीविजन के उभार के साथ ही बाबा रामदेव भी तेजी से छा जाते हैं। यह बात 2001 की है, जब देश के शुरुआती फुलटाइम आध्यात्मिक चैनलों में से एक संस्कार टीवी में बाबा रामदेव का 22 मिनट का कार्यक्रम आना शुरू हुआ था। सुबह 6:45 पर बाबा रामदेव का 22 मिनट का कार्यक्रम आता था, जिसमें वह योग करके दिखाते थे और उसके फायदे बताते थे। यह एक तरह से देश में योग के जरिए फिटनेस मूवमेंट की शुरुआत होने जैसा था। प्राणायाम उस दौर में हर किसी की जुबां पर चढ़ गया था। कॉरपोरेट वर्ल्ड से लेकर घर की महिलाओं तक पर बाबा रामदेव की फिटनेस अपील का असर दिखने लगा था और इसकी वजह बना था टीवी का कार्यक्रम। इससे पहले वह साइकिल से गांवों में घूमकर लोगों को योग के टिप्स दिया करते थे।
बाबा रामदेव पर लिखी पुस्तक ‘The Baba Ramdev Phenomenon: From Moksha to Market’ के मुताबिक संस्कार टीवी पर प्रोग्राम हिट होने के बाद दूसरे आध्यात्मिक चैनल आस्था ने भी बाबा रामदेव के कार्यक्रमों को दिखाना शुरू किया था। 2002 में दिल्ली में आयोजित एक कैंप में 10,000 लोगों की मौजूदगी दर्ज की गई थी। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि तब तत्कालीन सीएम साहिब सिंह वर्मा और केंद्रीय शिक्षा मंत्री मुरली मनोहर जोशी उनके कैंप में आए थे। यही नहीं टीवी के कार्यक्रमों का यह असर हुआ कि उनके शिविरों में लोगों की संख्या 50,000 तक पहुंचने लग गई थी। आस्था टीवी ने 2004 से हरिद्वार से बाबा रामदेव के दैनिक कार्यक्रमों का टेलिकास्ट शुरू किया था। इसके बाद बाबा रामदेव की लोकप्रियता में तेजी से इजाफा हुआ था।
बाबा रामदेव ने अपनी लोकप्रियता को लेकर कहा था, ‘कैंप में आने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई थी। शिविरों में 50,000 तक संख्या हो जाती थी। मैं जहां भी जाता था, वहां ट्रैफिक जाम लग जाता था। तब मुझे लगा कि लोगों तक पहुंचने की जरूरत है। मुझे लोग टीवी पर देख तो लेते थे, लेकिन टीवी के जरिए दवाईयां मिलना मुश्किल था। इसलिए मैंने कई जगहों पर सेंटर्स स्थापित करने का फैसला लिया ताकि लोगों को आसानी से दवाएं मिल सकें। आज देश भर में पतंजलि के 5,000 से ज्यादा चिकित्सालय हैं और 10,000 उपकेंद्र हैं, जहां तमाम दवाएं और उत्पाद मिलते हैं।’ 2006 में बाबा रामदेव ने कहा था, ‘मुझसे पहले महेशा योगी और रजनीश ने ध्यान और आसन पर ध्यान दिया था, लेकिन उन्हें प्रैक्टिस करना कठिन था। मैंने प्राणायम को बेहद सरल तरीके से लोगों के समक्ष पेश किया।’
दिलचस्प तथ्य यह है कि एक समय आस्था और संस्कार टीवी के जरिए लोकप्रियता हासिल करने वाले बाबा रामदेव ने आगे चलकर इनका अधिग्रहण कर लिया था। फिलहाल बाबा रामदेव का मीडिया साम्राज्य भी काफी बड़ा है। वैदिक ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड, आस्था ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क लिमिटेड और संस्कार इन्फो टीवी प्राइवेट लिमिटेड पर बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद का मालिकाना हक है।