अमेरिका के बाद अब मेक्सिको का फैसला भी भारत के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। मेक्सिको ने तय किया है कि जिन देशों के साथ उसका ट्रेड एग्रीमेंट नहीं है, उनके सामान पर वह 5% से 50% तक का अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। इनमें भारत भी शामिल है। न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले का भारत की कारें, ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, धातु और कैमिकल्स जैसे उत्पादों के मेक्सिको को होने वाले निर्यात पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए ये कदम वित्त वर्ष 2025 में मेक्सिको को उसके 5.75 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट के लगभग तीन-चौथाई हिस्से पर असर डालेंगे, जिससे मैक्सिकन मार्केट तक पहुंचने का कमर्शियल लॉजिक पूरी तरह बदल जाएगा। मेक्सिको की सीनेट ने 11 दिसंबर, 2025 को नए टैरिफ को मंजूरी दी थी, और तब से इसे कांग्रेस के दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी है। ये नए टैरिफ 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे।

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इन उत्पादों पर पड़ेगा बुरा असर

न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, थिंक टैंक GTRI ने कहा, “ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, जो भारत का मेक्सिको को सबसे बड़ा एक्सपोर्ट सेगमेंट है, उन पर सबसे बुरा असर पड़ेगा।”

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि FY2025 में 938.35 मिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट वाले पैसेंजर व्हीकल्स पर टैरिफ 20% से बढ़कर 35% हो जाएगा, जिससे USMCA (US-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंट) सोर्सिंग नियमों से तेजी से बन रहे मार्केट में प्राइस कॉम्पिटिटिवनेस तेजी से कम हो जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि ऑटो कंपोनेंट्स पर इसका असर और भी ज्यादा होगा, जिनका एक्सपोर्ट 507.26 मिलियन डॉलर था।

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GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘टैरिफ 10-15% से बढ़कर 35% हो गए हैं, जिससे अमेरिकी बाजार में सर्विस देने वाली मेक्सिको-बेस्ड ऑटोमोटिव सप्लाई चेन में भारत का गहरा इंटीग्रेशन रुक गया है। मोटरसाइकिल, जो 390.25 मिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट के साथ भारत का एक और मजबूत गढ़ है, उस पर ड्यूटी 20% से बढ़कर 35% हो गई है, जिससे भारतीय मैन्युफैक्चरर्स के वॉल्यूम, मार्जिन और ब्रांड प्रेजेंस को खतरा है।’

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन्स (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने कहा कि भारत से इंपोर्ट पर 50% तक टैरिफ लगाने का मेक्सिको का फैसला खासकर ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, मशीनरी, इलेक्ट्रिकल और ऑर्गेनिक केमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और प्लास्टिक जैसे सेक्टर्स के लिए चिंता की बात है।

सहाय ने कहा, “इतनी ज्यादा ड्यूटी हमारी कॉम्पिटिटिवनेस को कम कर देंगी और उन सप्लाई चेन्स को खराब करने का रिस्क होगा जिन्हें डेवलप होने में वर्षों लग गए हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि यह डेवलपमेंट भारत और मेक्सिको के लिए एक कॉम्प्रिहेंसिव ट्रेड एग्रीमेंट को फास्ट-ट्रैक करने की बहुत कम अर्जेंसी को भी दिखाता है।

GTRI ने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी सेक्टर को भी उतना ही बड़ा झटका लगेगा। जिनका FY2025 में मेक्सिको को 284.53 मिलियन डॉलर का स्मार्टफोन एक्सपोर्ट हुआ था, पहले देश में ड्यूटी-फ्री आते थे। इसमें कहा गया, “जनवरी 2026 से, उन पर 35% टैरिफ लगेगा, जिससे भारतीय हैंडसेट एक्सपोर्ट के लिए मैक्सिकन मार्केट असल में बंद हो जाएगा।”

इसमें कहा गया है कि इंडस्ट्रियल मशीनरी, जो 547.99 मिलियन डॉलर के साथ मेक्सिको को भारत की दूसरी सबसे बड़ी एक्सपोर्ट कैटेगरी है, उस पर ड्यूटी 5-10% से बढ़कर 25-35% हो जाएगी, जिससे लैंडेड कॉस्ट काफी बढ़ जाएगी और प्राइस-सेंसिटिव सेगमेंट में भारतीय कैपिटल गुड्स की डिमांड कम हो जाएगी।

इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि मेटल्स में, टैरिफ का झटका खास तौर पर नुकसानदायक है। श्रीवास्तव ने कहा कि 383.28 मिलियन डॉलर के एल्युमीनियम एक्सपोर्ट पर ड्यूटी 5-10% से बढ़कर 25-35% हो जाएगी, जिससे रीजनल और USMCA-बेस्ड सप्लायर्स के मुकाबले भारत की कॉम्पिटिटिवनेस कमजोर होगी।