वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दूसरे साल के कार्यकाल के लिए एक मोटा खाका पेश किया जिसके तहत करों को और अधिक तर्कसंगत बनाने तथा कारोबार करने में सुगमता जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान होगा।

वित्त मंत्री ने पीटीआई भाषा से एक साक्षात्कार में कहा कि आगे चलकर सरकार का मुख्य जोर सुधारों की रफ्तार बढ़ाने व मनमर्जी के फैसलों की गुंजाइश को समाप्त करने पर होगा। राजग सरकार के कार्यकाल का एक साल इसी माह पूरा होने जा रहा है।

जेटली ने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए नीतिगत मोर्चे पर जमीनी स्तर पर कुछ बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कुछ आलोचकों का विचार है। भारतीय उद्योग जगत की इस शिकायत के बारे में कि सरकार जो कह रही है, उस पर अमल नहीं कर रही है, जेटली ने कहा कि ‘व्यापक स्तर पर’ इस तरह की सोच नहीं है।

वित्त मंत्री ने कहा कि मीडिया में कुछ ऐसी रपटें आयी हैं कि अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ पा रही है। उन्होंने कि ये ‘‘प्रेरित खबरें हैं जिनमें दर्जन भर लोगों का हवाला तो दिया गया है पर उनमें से किसी का नाम नहीं दिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि इस समय निराशा जता रहे कंपनियों एक वर्ग वह हो सकता है जो ‘रेवड़ी बांटने वाली व्यवस्था’ का अभ्यस्त हो चुका था।

कराधान के बारे में जेटली ने कहा कि इसे ‘अधिक तर्कसंगत’ बनाने के प्रयास किए जाएंगे। अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर सरकार ने 1 अप्रैल, 2016 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का प्रस्ताव किया है। वहीं प्रत्यक्ष करों पर वित्त मंत्री ने कहा कि चार साल में कॉरपोरेट कर की दरों को 30 से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाया जाएगा।

इसके अलावा सरकार का इरादा कॉरपोरेट कर की दरें कम करने के साथ विभिन्न प्रकार की छूटों को समाप्त करने का है। हालांकि, व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए रियायतों को कायम रखा जाएगा। जेटली ने कहा, ‘‘मैं कर छूटों को जारी रखूंगा, पर ये सिर्फ व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए होंगी। पिछले दो साल में मैंने इस तरह की (व्यक्तिगत करदाआतों के लिए) रियायतों को मजबूत किया है।’’ उन्होंने कहा कि इससे मांग बढ़ाने व वृद्धि को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।

सरकार के समक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा, ‘‘इनमें से एक देश में कारोबार करने में सुगमता के लिए वृहद योजना है, मैं कहूंगा कि इस पर काम जारी है।’’

उन्होंने कहा कि जीएसटी व भूमि अधिग्रहण कानून को आगे बढ़ाने के अलावा मंजूरी देने की वर्तमान व्यवस्था की जगह नियामकीय व्यवस्था के जरिये मंजूरी देने की प्रणाली लागू करने का प्रयास है। इससे निवेश को बढ़ावा देने और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार लाने में मदद मिलेगी।

वित्त मंत्री ने बताया कि इसके साथ ही सरकार ‘दिवालियां कंपनियों के संबंध में एक संहिता’ का प्रस्ताव कर रही है ताकि कंपनियों को परियोजनाओं से बाहर निकलने में मदद मिले।

इस सोच के बारे में कि सरकार ने नीति के मोर्चे पर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया है, उन्होंने कहा कि इसके उलट सरकार तेजी से निर्णय लेकर अर्थव्यवस्था की विश्वसनीयता बहाल करने में सफल रही है। सरकार ने घरेलू व अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए दरवाजे और खोले हैं। वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर आठ प्रतिशत से अधिक रहेगी।

वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि सरकार ने सभी संभव नीतिगत फैसले लिए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘व्यापक स्तर पर ऐसी कोई धारणा नहीं है। यह सिर्फ आलोचकों के एक वर्ग के बीच की सोच है। इस वर्ग के आलोचक एक दिन कहते हैं कि यह (फैसला) कॉरपोरेट के हित में किया गया है। अगले दिन वह कहता है कि कॉरपोरेट इससे खुश नहीं हैं। दोनों चीजें एक साथ नहीं हो सकतीं।’’

जेटली ने कहा, ‘‘नीति पर जो हो सकता था, किया गया है। मुझे नहीं लगता कि 1991 के बाद किसी सरकार ने इस तरह का उल्लेखनीय बदलाव किया हो। उस अवधि के बाद अपने पहले साल में इतने अधिक कदम उठाने वाली राजग सरकार पहली सरकार है। हम इस रफ्तार को कायम रखना चाहते हैं।’’

हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वैश्विक सुस्ती तथा मौसम की अनिश्चितता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है। ‘‘निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था अपना समय लेगी। जब आप कोई कदम उठाते हैं, तो उस कदम के नतीजे कुछ समय बाद सामने आते हैं। विशेष रूप से तब जबकि वैश्विक वातावरण सुस्त हो। ऐसे में यदि आप 7.5 से 8 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, तो यह बड़ी उत्साहजनक बात है।’’

वित्त मंत्री ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के साथ दिक्कत यह थी कि उसमें राजनीतिक सोच पर वर्चस्व रखने वालों की कोई स्पष्ट दिशा नहीं थी। ‘‘उन्होंने गलत रास्ता चुना और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाली नीतियां अपनायीं।’’

जेटली ने कहा कि इसके अलावा लगता है कि संप्रग सरकार निर्णय नहीं ले पा रही थी और वह प्रभावहीन थी और इसकी वजह से निर्णय लेने की प्रक्रिया की विश्वसनीयता बुरी तरह प्रभावित हुई।

जेटली ने कहा, ‘‘हम वैश्विक रडार से ओझल हो गए थे। नीतिगत फैसले दूसरी बातों से प्रभावित होते थे और यदि मैं कांग्रेस के कुछ लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों का इस्तेमाल करूं तो कहूंगा कि उन्होंने ‘उदारीकरण’ को छोड़ कर ‘साठगांठ’ की राह पर चल पड़े थे। इस तरह चाहे स्पेक्ट्रम हो या कोयला ब्लॉक आवंटन, ये सब साठगांठ के ही उदाहरण हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने जो फैसले लिए हैं वे एक ही दिशा को लक्ष्य कर लिए गए हैं। उनमें कोई विरोधाभास, अस्पष्टता या असमंजस नहीं है। सभी फैसले एक-दूसरे से जुड़े हैं।’’

उन्होंने कहा कि राजग सरकार रूपरेखा या खाके को लेकर पूर्ण स्पष्टता लेकर आई है। और उसने सरकारी व विधायी दोनों तरह के फैसले लिए हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के बाहर कोई भी ऐसी ताकतें नहीं हैं जो सरकार की सोच को प्रभावित कर सकती हों। जिम्मेदारी सरकार से शुरू होकर सरकार पर ही खत्म होती है। उन्होंने कहा कि सरकार को आगे बहुत काम करना है।

जेटली ने कहा कि मोदी सरकार ने अपना पहले साल के कार्यकाल के दौरान जितना संभव हो सकता था, फैसलों में मनमर्जी की गुंजाइश को समाप्त किया है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार में मनमर्जी की किसी गुंजाइश को छोड़े बिना उदारीकरण व सांठगाठ के पूंजीवाद के बीच का फर्क यही है। यही वजह है कि हमने एक साल पूरा कर लिया है और किसी ने भ्रष्टाचार का काई गंभीर या हल्का आरोप नहीं लगाया है। इस तरह यह एक ईमानदार सरकार है और वह साफसुथरी प्रक्रिया (अपना रही) है।’’

जेटली ने कहा कि वृहद आर्थिक मोर्चे पर सकारात्मक संकेत यह है कि वृद्धि दर बढ़ रही है। ‘‘पिछले साल यह बढ़ी। इस साल भी यह बढ़ रही है। ऐसे में हमारी वृद्धि दर दुनिया में किसी अन्य देश से बेहतर होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं राजकोषीय अनुशासन व सावधानी को बनाए रखने की उम्मीद करता हूं। पहले साल मैंने कुछ ब्रेक जरूर लगाया है। इसका सिद्धान्त यह है कि यदि शुरुआत में आम हाथ दबा कर खर्च करते हैं तो आपके पास बचाने के लिए काफी कुछ होगा और भविष्य में आप इसका लाभ उठा पाएंगे।’’

‘‘ऐसे में राजकोषीय घाटे के संकेतक अच्छे दिख रहे हैं, नियंत्रण में हैं, चालू खाते का घाटा (कैड) नियंत्रण में है, महंगाई नियंत्रण में है। सिर्फ ईंधन आधारित मुद्रास्फीति ही नहीं खाद्य मुद्रास्फीति भी नियंत्रण में है।’’

वृद्धि के अनुमानों के बारे में जेटली ने कहा, ‘‘आर्थिक समीक्षा 8 और 8 से अधिक वृद्धि दर की बात करती है। राजस्व के संकेतक, शुरुआती संकेतक अप्रैल के महीने में आए हैं, जो ठीकठाक दिख रहे हैं।