वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र में पिछले एक साल में निर्णायक और भ्रष्टाचार मुक्त शासन से दहाई अंक की वृद्धि दर का मंच तैयार हुआ है। उन्होंने भारत में कारोबार करना आसान बनाने के लिए आर्थिक सुधारों को जारी रखने का भी वादा किया। जेटली ने जीएसटी और भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन जैसे सुधारवादी कदमों की राह में बाधा खड़ी कर वृद्धि व विकास विरोधी रुख अपनाने के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना भी की।

नरेंद्र मोदी सरकार के एक साल पूरा होने के पहले यहां संवाददाताओं से बातचीत में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि देश में भ्रष्टाचार मुक्त शासन रहा है। आम लोगों को राजनीतिक भ्रष्टाचार से मुक्ति मिली है, हमने यह एक साल में कर दिखाया है। जेटली ने जीएसटी और जमीन अधिग्रहण विधेयक को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता जताई। साथ ही ग्रामीण विकास व बुनियादी ढांचे के लिए और कोष उपलब्ध कराने का वादा किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर 7.5 से 8 फीसद रही है और इससे भी तीव्र वृद्धि हासिल करने की एक बेचैनी है जो देश की वास्तविक संभावना है।

बकौल जेटली एक साल पहले निराशावाद का माहौल था। उदासी का वातावरण था। ऐसे हालात में उत्साह का माहौल बना है। बाधाओं के बीच निर्णय की क्षमता मोदी सरकार की विशेषता रही है। यदि निर्णय शीघ्रता से किए जाएं तो भारत में दहाई अंक की वृद्धि दर हासिल करने की संभावना है। हम सुधारों को आगे बढ़ा रहे हैं और नीतियों को उदार बना रहे हैं लेकिन इसमें साठगांठ वाले पूंजीवाद के लिए कोई जगह नहीं है।

जेटली ने कहा- हमारा समाजिक सुरक्षा कार्यक्रम देश में अब तक के सबसे मजबूत कार्यक्रमों में एक है लेकिन नीतियों के निर्धारण के मामले में निश्चित रूप से व्यक्तिगत औद्योगिक घरानों के प्रति तटस्थता रहेगी। सरकार कोयला और स्पेक्ट्रम जैसे प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी जैसे कदमों के जरिए राजकाज की पारदर्शी प्रणाली उपलब्ध कराने में कामयाब रही है। सरकार ने सभी मोर्चों पर निर्णायक और गति से काम किया है। देश निर्णय करने की धीमी प्रक्रिया को स्वीकार करने के मूड में नहीं है।

कराधान के संदर्भ में जेटली ने कहा कि सरकार इसे सरल रखने के पक्ष में है और कराधान को वृद्धि को बढ़ावा देने के एक औजार के रूप में उपयोग करने का इरादा रखती है। प्रस्तावित वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को ऐतिहासिक सुधार करार देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अधिकतर राज्य इसके पक्ष में हैं और केंद्र एक अप्रैल 2016 से नई कर व्यवस्था को चालू करने का हर संभव प्रयास करेगा। जीएसटी लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक प्रवर समिति के पास भेजा गया है। समिति को संसद के अगले सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट राज्यसभा में देनी है। विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है। जीएसटी के लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क, सेवा कर और स्थानीय कर उसमें विलीन हो जाएंगे। इससे देश भर में एक समान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू हो जाएगी।

जेटली ने कहा कि जहां तक प्रत्यक्ष कर का संबंध है, सरकार ने कंपनी कर को वैश्विक स्तर पर लाने और विवेकाधीन छूट कम करने का प्रस्ताव किया है। सरकार की चार साल की अवधि में कंपनी कर को 30 फीसद से कम कर 25 फीसद लाने की योजना है। कर की ऊंची दर कभी भी निवेशकों और अर्थव्यवस्था के अनुकूल नहीं होती है। जेटली ने कहा कि राजस्व विभाग संशोधित व सरलीकृत आयकर रिटर्न (आइटीआर) फार्म लेकर आएगा।

जेटली ने उम्मीद जताई कि विरासत में जो समस्याएं मिली हैं और जिनसे निवेशकों को दिक्कतें हो रही हैं, उनका जल्द ही समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय कर व्यवस्था प्रतिस्पर्धी होनी चाहिए और गैर-प्रतिकूल होनी चाहिए। उनकी सरकार के किसी भी निर्णय से कोई विवाद नहीं हुआ है। काले धन को बाहर लाने को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि विदेश में जमा कालेधन के खिलाफ नए कानून के तहत अनुपालन की मोहलत के संदर्भ में अधिसूचना जल्दी ही जारी की जाएगी। संसद ने विदेश में रखी गई अवैध धन संपत्ति से निपटने के लिए कालेधन विधेयक को मंजूरी दे दी है।