भारत को संकटग्रस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकता सितारा बताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नई भारत सरकार एक स्थिर, अनुमानयोग्य व पारदर्शी नीतिगत व्यवस्था की पेशकश कर रही है। इससे भारत निवेशकों के लिए निवेश की दृष्टि से आकर्षक गंतव्य बन चुका है।

पिछले पांच दिन में जेटली न्यूयार्क व वाशिंगटन में अमेरिका के शीर्ष कारोबारी व कॉरपोरेट नेताओं से बातचीत कर चुके हैं। जेटली ने कहा कि अभी तक उन्हें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार निवेशक एक स्थिर नीति व्यवस्था चाहते हैं और भारत सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के संकट के समय में भारत एक उम्मीद की किरण है। हमारी आर्थिक वृद्धि दर सुधर रही है। राजकोषीय अनुशासन नियंत्रण में है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले एक साल के दौरान पासा पलटने वाले कई कदम उठाए हैं। हमने कई ढांचागत बदलाव किए हैं जिससे खुलापन आया है। हम वित्त आयोग की सिफारिशों का क्रियान्वयन कर रहे हैं जिससे बड़े पैमाने पर विकेंद्रीकरण हो सकेगा।

उन्होंने कराधान सुधारों के बारे में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संभवत: इतिहास का सबसे बड़ा कराधान सुधार है। सब्सिडी को तर्कसंगत बनाया जा रहा है और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण व्यवस्था (डीबीटी) भी काफी महत्वपूर्ण है। सरकार के कामकाज में पारदर्शिता विशेषरूप से प्राकृतिक संसाधनों के मामले में हमें काफी महत्वपूर्ण नतीजे मिले हैं।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यहां अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुलाकात कर प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों पर भारत की चिंता उनके सामने रखी जिसमें टोटलाइजेशन समझौता और प्रस्तावित द्विपक्षीय निवेश संधि शामिल है। अमेरिकी वित्तमंत्री जैक ल्यू, वाणिज्य मंत्री पेनी प्रित्जकर और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि माइक फ्रोमैन के साथ विभिन्न बैठकों में जेटली ने पारस्परिक हितों व चिंताओं के मुद्दों पर चर्चा की।

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले एक साल में दोनों देशों की सरकारों के बीच निरंतर बातचीत होती रही है। नौ दिन की अमेरिका यात्रा पर आए जेटली ने भारत के महत्वपूर्ण टोटलाइजेशन समझौते सहित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उठाया। टोटलाइजेशन समझौते का उद्देश्य अमेरिकी सामाजिक सुरक्षा में सालाना एक अरब डॉलर से अधिक का योगदान करने वाले भारतीय मूल के पेशेवरों के हितों की रक्षा करना है।

जेटली ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) पर हुई प्रगति पर भी चर्चा की। भारत द्वारा द्विपक्षीय निवेश संरक्षण एवं संवर्धन संधि कहे जाने वाली प्रस्तावित संधि के तहत दोनों देशों के बीच निवेश को संरक्षण करने का प्रयास किया जाएगा। भारत ने 80 से अधिक देशों के साथ यह संधि कर रखी है।