Yes Bank collapse story: कभी 3 लाख करोड़ रुपये की पूंजी के साथ देश के 5वें सबसे बड़े प्राइवेट बैंक का तमगा हासिल करने वाले यस बैंक के डूबने की सबसे बड़ी वजह बेहिचक किसी को भी लोन देना रहा है। बैंकिंग सेक्टर में यस बैंक की ख्याति एक ऐसे संस्थान की रही है, जिसने कभी किसी भी डिफॉल्टर कंपनी तक को लोने के लिए इनकार नहीं किया। बैंक के संस्थापक और पूर्व सीईओ राणा कपूर को लेकर कहा जाता रहा है कि वह किसी भी कंपनी को लोन नियम और प्रक्रिया के तहत नहीं बल्कि रिश्तों के आधार पर देते थे।

यही वजह है कि आईएस एंड एफएस, अनिल अंबानी ग्रुप और तमाम अन्य ऐसी कंपनियों को यस बैंक ने लोन बांट दिए, जो डिफॉल्टर साबित हुईं। सीजी पावर, एस्सार पावर, वरदराज सीमेंट समेत ऐसी कई कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपये यस बैंक के बकाया हैं, जिन्होंने उसकी नींव हिला दी और अंत में रिजर्व बैंक को कामकाज संभालना पड़ा।

अनिल अंबानी की कंपनियों पर बकाया 13,000 करोड़: बैंकिंग सेक्टर से लेकर शेयर मार्केट तक को हिलाने वाले आईएल एंड एफएस पर यस बैंक के 2,442 करोड़ रुपये बकाया हैं, जिसे एनपीए में डाल दिया गया। विश्लेषकों के मुताबिक अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियों पर भी यस बैंक के 13,000 करोड़ रुपये बाकी हैं। हाल ही में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इन्फ्रा लोन चुकाने में डिफॉल्टर साबित हुई थी। इसके अलावा एस्सल ग्रुप पर यस बैंक के 3,300 करोड़ रुपये बकाया हैं।

बैड लोन छिपाने पर टेढ़ी हुई थी RBI की नजर: ऐसे ही 6,355 करोड़ रुपये के बैड लोन को यस बैंक ने 2017 में छिपाने की कोशिश की थी। इसके बारे में जब आरबीआई को पता चला तो उसने पाबंदियां लगानी शुरू कर दी थीं। 2018 में केंद्रीय बैंक ने सीईओ राणा कपूर को 3 महीने में पद से हटने के लिए कहा और यह यस बैंक के पतन की शुरुआत था। इसके बाद सितंबर महीने में ही बैंक के शेयरों में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई।