अनिल अंबानी की मुश्किलें दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही हैं। दरअसल अब उनकी कंपनी Reliance Naval & Engineering Ltd. पर भारी कर्ज का दबाव है और कंपनी नकदी के भीषण संकट से गुजर रही है। कंपनी को नए ऑर्डर नहीं मिलने के चलते नकदी की कमी हो गई है और कंपनी पर कर्ज बढ़ता जा रहा है। हाल ही में कंपनी को दिवालिया घोषित करने संबंधी याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान ही कंपनी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट का खुलासा कर उक्त जानकारी दी है।
Reliance Naval के सीईओ देबाशीश बीर ने कहा है कि कंपनी नकदी के संकट से गुजर रही है, जिसका असर मौजूदा प्रोजेक्ट्स पर पड़ रहा है, जिससे उनकी समयसीमा में इजाफा हो रहा है और इसके साथ ही कंपनी के ग्राहकों के विश्वास को भी चोट पहुंची है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस नेवल के कर्जदाताओं ने कंपनी के कर्ज भुगतान प्लान को खारिज कर दिया है, जिसके बाद कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस नेवल पर 31 मार्च तक 64.4 बिलियन रुपए का कर्ज है। कंपनी के कर्जदाताओं में IDBI बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नाम शामिल है।
ईटी की एक खबर के अनुसार, अनिल अंबानी की 4 बड़ी यूनिटों पर कर्ज की रकम बढ़कर 939 बिलियन डॉलर हो गई है। जिनमें रिलायंस टेलीकम्यूनिकेशंस और रिलायंस नेवल का नाम शामिल है। कर्ज को कम करने के लिए अनिल अंबानी अपने बिजनेस को समेट रहे हैं और इससे कई कंपनियों को बेचकर करीब 217 बिलियन रुपए इकट्ठा करने की योजना बना रहे हैं।
फिलहाल अनिल अंबानी की उम्मीदें सरकार के डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट पर टिकी हैं। सरकार देश की सुरक्षा के लिए सेना के आधुनिकीकरण के लिए 250 बिलियन डॉलर की भारी-भरकम रकम खर्च करने जा रही है। ऐसे में रिलायंस को इन कॉन्ट्रैक्ट्स से काफी उम्मीदें हैं।