वैश्विक कारणों के चलते भारतीय रुपए पर लगातार दबाव बना हुआ है, जिसके कारण भारतीय रुपए अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 रुपए के स्तर तक पहुंच गया है। इसी पर महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने ट्विटर पर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि शक्तिशाली डॉलर और ताकतवर हो गया है, लेकिन पूरे विश्व में अमेरिका के प्रभाव में घटा है। डॉलर अभी भी दुनिया की सबसे सुरक्षित मुद्रा बनी हुई है। डॉलर के मुकाबले अन्य देशों मुद्राओं के अवमूल्यन के मामले में हम (भारत) बीच में है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी डॉलर विश्व की अन्य मुद्राओं के सामने के मजबूत हो रहा है और इस कारण से वैश्विक अर्थवयवस्था का आउटलुक अस्थिर हो रहा है। रिपोर्ट में दिए आकंड़ों के मुताबिक इस साल की शुरुआत से 15 जुलाई तक अमेरिकी डॉलर मुकाबले तुर्की की मुद्रा 20 फीसदी से अधिक गिरी है। इसके बाद अर्जेंटीना, हंगरी, जापान और मिश्र की मुद्रा 15 से 20 फीसदी के बीच गिरी है। पोलैंड, स्वीडन, चिली, ब्रिटेन, नॉर्वे, डेनमार्क, यूरो, दक्षिण कोरिया, इजरायल की मुद्रा 10 से 15 फीसदी के बीच रही है। इंडोनेशिया, भारत, चीन, थाईलैंड, ऑस्ट्रलिया और दक्षिण अफ्रीका की मुद्रा में 5 से 10 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, कनाडा, सिंगापुर, नाइजीरिया और मेक्सिको की मुद्रा में 0 से 5 फीसदी तक की गिरावट हुई है।
दुनिया की चार मुद्राएं डॉलर के समाने हुई मजबूत: रिपोर्ट में बताया गया कि केवल अंगोला, रूस, उरुग्वे और ब्राजील की मुद्राएं ही डॉलर के सामने मजबूत हुई हैं। डॉलर के सामने अंगोला की मुद्रा 30 फीसदी, रूस की मुद्रा करीब 28 फीसदी, उरुग्वे की मुद्रा करीब 7 फीसदी और ब्राजील की मुद्रा करीब 3 फीसदी मजबूत हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसी विदेशी कंपनियां जो अपनी अधिकतर बिक्री अंतरराष्ट्रीय बाजार में करती है, उन्हें डॉलर की कीमत बढ़ने से बड़ा फायदा होने वाला है। ब्रिटिश लक्जरी ब्रांड Burberry का कहना है कि डॉलर की कीमत बढ़ने से उसकी आय में करीब 200 मिलियन डॉलर का इजाफा होगा। लेकिन ऐसी अमेरिकन कंपनियां जो अपनी अधिकतर बिक्री अंतरराष्ट्रीय बाजार में करती है, जब वह अपनी आय डॉलर में बदलेगी तो उनकी बिक्री में कमी आ सकती है।