मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक विदेशी दूरसंचार कंपनी को खरीदने पर विचार कर रही थी, लेकिन जब उनके पास यह खबर पहुंची कि गौतम अडानी भारत में 5G एयरवेव की पहली बड़ी बिक्री में बोली लगाने की योजना बना रहे है। इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज में हलचल मच गई।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस में काम करने वाले कुछ लोगों ने कहा कि जैसे ही यह खबर अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज तक पहुंची, तो अंबानी ने कंपनी को हाई अलर्ट पर कर दिया। हालाकि अंबानी की रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड भारत के मोबाइल बाजार में शीर्ष पर है, जबकि अडानी समूह के पास वायरलेस दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने का लाइसेंस भी नहीं है।
वहीं ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चर्चा में शामिल लोगों ने बताया कि इस खबर के आते ही सहयोगियों के एक समूह ने अंबानी को विदेशी लक्ष्य का पीछा करने और भारतीय बाजार से परे विविधता लाने की सलाह दी, जबकि दूसरे ने घरेलू मैदान पर किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए धन के संरक्षण की सलाह दी।
इसके बाद अंबानी ने 87 अरब डॉलर प्राइज के विदेशी फर्म के लिए बोली नहीं लगाई, क्योंकि कुछ लोगों सलाह थी कि अडानी से चुनौती के मामले में वित्तीय रूप से मजबूत होना अधिक फायदेमंद होगा। गौरतलब है कि दो दशकों से अधिक समय तक अपने-अपने क्षेत्रों में शांतिपूर्वक विस्तार करने के बाद, एशिया के दो सबसे धनी व्यक्ति तेजी से एक ही जमीन पर आगे बढ़ रहे हैं।
वहीं अडानी और अंबानी की कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस कहानी के लिए टिप्पणी करने से इनकार किया है। 9 जुलाई को एक सार्वजनिक बयान में, अडानी ग्रुप ने कहा कि वर्तमान में अंबानी के प्रभुत्व वाले उपभोक्ता मोबाइल स्पेस में प्रवेश करने का उसका कोई इरादा नहीं है, और केवल “निजी नेटवर्क समाधान” बनाने और बढ़ाने के लिए सरकारी नीलामी में खरीदे गए किसी भी एयरवेव का उपयोग करेगा।
