भारत में सोना (Gold) और इससे बने गहनों (Jewellery) को काफी पसंद किया जाता है। दिवाली (Diwali), धनतेरस (Dhanteras), अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) जैसे पावन मौकों पर लोग जमकर सोने की खरीदारी करते हैं। विवाह (Marriage) और जन्मदिन (Birthday) जैसे अवसरों पर प्रियजनों को गिफ्ट देने के लिए भी लोग इसे तरजीह देते हैं। क्या आप जानते हैं कि गिफ्ट (Gift) में मिला सोना या सोने के गहने पर भी टैक्स लगता है। आइए जानते हैं कि किन मामलों में ऐसे गिफ्ट टैक्सफ्री (Tax Free) होते हैं और किन शर्तों में टैक्स की देनदारी बनती है।

इन लोगों से मिले गहनों पर नहीं लगता है टैक्स

शादी, सालगिरह या जन्मदिन जैसे मौकों पर परिवार के सदस्यों से गिफ्ट में मिले सोने के गहने टैक्सफ्री होते हैं। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत (Inheritance) में मिलने वाले सोने के गहनों के ऊपर भी टैक्स की देनदारी नहीं बनती है। इन मामलों में गहनों की कीमत या मात्रा का दायरा तय नहीं है। हालांकि यदि भविष्य में आप इन गहनों को बेचते हैं तो आपको कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) देना पड़ेगा।

टैक्सफ्री गिफ्ट बेचने पर बनती है इस टैक्स की देनदारी

ऐसे गिफ्ट के लिए कैपिटल गेन टैक्स की गणना करने के लिए होल्डिंग पीरियड (Holding Period) को आधार बनाया जाता है। होल्डिंग पीरियड को उस दिन से नहीं गिना जाता है, जिस दिन आपको गिफ्ट मिला था। आपको गिफ्ट देने वाले परिजन ने जिस दिन सोना खरीदा था, इसे उसी दिन से गिना जाता है। उदाहरण के लिए आपको शादी पर आपकी मां ने सोने के गहने गिफ्ट किए। उन्हें ये गहने उनकी शादी पर अपने पिता यानी आपके नाना से मिले थे। यदि आपके नाना ने अपने जमाने में इन गहनों को एक लाख रुपये में खरीदा था, तो कैपिटल गेन तय करने के लिए इन गहनों की शुरुआती कीमत एक लाख रुपये मानी जाएगी। इसके बाद गहनों के अभी के मूल्य में एक लाख रुपये घटाकर कैपिटल गेन निकाला जाएगा, जिसके ऊपर टैक्स की देनदारी बनेगी।

इससे अधिक के हुए गिफ्ट तो लग जाएगा टैक्स

मौका भले ही शादी का ही क्यों न हो, परिवार से बाहर के लोगों के द्वारा दिए जाने वाले गिफ्ट एक सीमा तक ही टैक्स से मुक्त होते हैं। किसी एक कर आकलन वर्ष (वित्त वर्ष) के दौरान 50 हजार रुपये तक के गिफ्ट ही टैक्सफ्री होते हैं। यदि आपको किसी एक साल में 50 हजार रुपये से अधिक कीमत के गिफ्ट मिलते हैं, तो इनके ऊपर टैक्स की देनदारी बन जाती है। सभी गिफ्ट की वैल्यू मिलाकर यदि 50 हजार रुपये से अधिक हो गई तो टैक्स की देनदारी पूरी वैल्यू पर बनती है।

होल्डिंग पीरियड से तय होती है टैक्स की दर

कैपिटल गेन टैक्स की दर इस बात पर निर्भर करती है कि होल्डिंग पीरियड कितनी है। यदि होल्डिंग पीरियड 36 महीने से अधिक है तो लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (Long Term Capital Gain Tax) लगेगा, जो 20 प्रतिशत है। होल्डिंग पीरियड 36 महीने से कम होने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (Short Term Capital Gain Tax) लगेगा। इसकी दर तय करने के लिए गहने बेचने से मिली राशि को आपकी कुल आय में जोड़ा जाएगा। इसके बाद आपकी आय जिस टैक्स स्लैब में आती है, उसी के हिसाब से टैक्स की दर का निर्धारण होगा।

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टैक्स से बचने के लिए जान लें आयकर अधिनियम का यह प्रावधान

कर नियमों में लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से बचने के भी कुछ प्रावधान किए गए हैं। आयकर अधिनियम की धारा 54एफ (IT Act Section 54F) के तहत ये प्रावधान किए गए हैं। यदि आप गहनों को बेचने के तय समय के भीतर प्राप्त राशि को घर बनाने या खरीदने में इस्तेमाल करते हैं, तो इस सूरत में आपको लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिल जाती है।