दूरसंचार नियामक की तरफ से जीरो इंटरकनेक्ट यूजेस चार्ज (IUC) को टालने की घोषणा के बाद मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नया खेल चल पड़ा है। एयरटेल और वोडाफोन ने रिलायंस जिओ पर कॉल बैक करा के पैसे कमाने का अनोखा आरोप लगाया है।
ईटी की खबर के अनुसार ये कंपनियां आपस में एक दूसरे पर वॉइस टैरिफ को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। खबर के अनुसार मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि एयरटेल और वोडाफोन ने मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनी पर अपने नेटवर्क के जरिये कॉल रिंग की ड्यूरेशन को महज 20 सेकेंड तक सीमित कर दिया है। ऐसे में सिर्फ चार-पांच घंटी के बाद फोन कट जाता है। इससे दूसरी तरफ वाला यूजर कॉल बैक कर रहा है।
कंपनियों का आरोप है कि इसमें कॉल बैक के जरिये जियो नेटवर्क इंटरकनेक्ट रेवेन्यू बना रहा है। वहीं जिओ से जुड़े लोग प्रतिस्पर्धी कंपनियों पर कॉल की दरें अधिक रखने का आरोप लगाते रहे हैं। खबर के अनुसार इस पर वोडाफोन-आइडिया प्रवक्ता के हवाले से कहा गया कि हम अपने 2जी, 3जी और 4जी तकनीक के जरिये अफोर्डेबल प्रोडक्ट के साथ उपभोक्ताओं को कई विकल्प उपलब्ध कराते हैं। इसमें यूजर अपनी पसंद के अनुसार वॉइस और डाटा प्लांस का चुनाव कर सकता है।
मालूम हो कि दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने दो साल पहले इंटरकनेक्ट यूजर्स चार्ज में 57 फीसदी की कमी करते हुए इसे 6 पैसे प्रति मिनट कर दिया था। अब दूरसंचार नियामक ने जनवरी 2020 से इसे पूरी तरह से खत्म करने का आदेश दिया था। ट्राइ ने अब अपने इस निर्णय समीक्षा की बात कही है। दूरसंचार नियामक का कहना है कि उपभोक्ता अभी भी पूरी तरह से डाटा कॉल पर माइग्रेट नहीं हुआ है।
अभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के बीच अभी भी वॉइस टैरिफ में असमानता मौजूद है। उपभोक्ताओं के डाटा कॉल की तरफ शिफ्ट करने को लेकर पहले कहा गया था कि इससे कॉल की लागत में कमी आएगी। इससे ट्रैफिक अमानता के तेजी से कमी आई है। इसलिए इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज को खत्म करने की जरूरत है। लेकिन अभी भी यह नहीं हो पाया है।